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बहादुरगढ़ के सिविल अस्पताल में दो साल से बंद पंचकर्मा ओपीडी अब फिर होगी शुरू

सिविल अस्पताल में एक बार फिर पंचकर्मा ओपीडी को शुरू करने की तैयारी हो रही है। कोरोना काल से पहले ही यहां पर ओपीडी बंद हो गई थी। दो साल बाद अब यहां पर सप्ताह में तीन दिनों के लिए डाक्टर मौजूद रहेंगे।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 03 Jan 2022 10:40 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jan 2022 10:40 AM (IST)
बहादुरगढ़ के सिविल अस्पताल में दो साल से बंद पंचकर्मा ओपीडी अब फिर होगी शुरू
बहादुरगढ़ के सिविल अस्‍पताल में पंचकर्मा विधि के लिए रखे सामान की धूल साफ की जा रही है।

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : शहर के सिविल अस्पताल में एक बार फिर पंचकर्मा ओपीडी को शुरू करने की तैयारी हो रही है। कोरोना काल से पहले ही यहां पर ओपीडी बंद हो गई थी। दो साल बाद अब यहां पर सप्ताह में तीन दिनों के लिए डाक्टर मौजूद रहेंगे। पंचकर्मा विधि के लिए रखे सामान की धूल साफ की जा रही है। दरअसल, 2019 में सिविल अस्पताल में पंचकर्मा की ओपीडी शुरू हुई थी। तब यहां पर दो माह के अंदर 400 से ज्यादा मरीजों का इलाज भी हुआ।

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मगर यहां भेजे गए डाक्टर की प्रतिनियुक्ति अवधि खत्म होते ही इस विभाग पर ताला लटक गया था। सितंबर 2019 में विभाग की ओर से डाक्टर, पंचकर्मा स्पेशलिस्ट, थेरेपिस्ट, एएनएम, फार्मासिस्ट समेत 15 सदस्यीय स्टाफ की स्थायी नियुक्ति के लिए पद स्वीकृत कर दिए थे। कुछ स्टाफ की नियुक्त हुई और कुछ दिनों तक ओपीडी चली मगर उसके बाद डाक्टर की प्रतिनियुक्ति खत्म हो गई और फिर कोरोना आ गया।

पंचकर्मा ओपीडी पर दोबारा लग सकता है कोरोना का ग्रहण

अभी तक ताे सिविल अस्पताल की ओपीडी पर कोरोना का कोई असर नहीं है, लेकिन यदि केस बढ़ते हैं तो पंचकर्मा ओपीडी पर फिर से ग्रहण लग सकता है। यहां पर डा. सुमन की मंगलवार, वीरवार और शनिवार को ओपीडी में तैनाती की गई है। यहां पर मरीजों का चेकअप इसी सप्ताह से होना है। डा. सुमन का कहना है कि ओपीडी शुरू की जा रही है। अगर सरकार की तरफ से बाद में काेई गाइडलाइन आती है तो उसकी अनुपालना की जाएगी।

पंचकर्मा में हैं कई बीमारियों का इलाज

बदलती जीवनशैली में कुछ बीमारियां शरीर से चिपक तो रही है मगर एलोपैथिक दवाइयों से उनका इलाज नही हो पा रहा। कमर दर्द, सर्वाइकल, घुटनों का दर्द, माइग्रेन जैसे अनेक रोग हैं। जो पीड़ा तो देते हैं, मगर दर्द निवारक गोलियों के अलावा उनसे राहत का विकल्प नहीं। एक समय के बाद ये गाेलियां भी असरकारक नहीं होती और बीमारी बनी रहती है। पंचकर्मा विधि से इनका इलाज संभव हो जाता है। कुछ बीमारियों के इलाज की विधि के लिए शुल्क तय होता है। बाकी फ्री में होता है।


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