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आपातकाल की यादें: हिसार जेल में बंदियों के लिए मटकों में पानी भरते थे ओमप्रकाश चौटाला

हरियाणा में भी आपातकाल के दौरान सभी प्रमुख नेताओं को जेल में डाल दिया गया। देवीलाल व ओमप्रकाश चौटाला सहि‍त कई नेता हिसार जेल में बंद थे। पीएल गोयल ने जेल की यादें साझा की हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 05:44 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 05:44 PM (IST)
आपातकाल की यादें: हिसार जेल में बंदियों के लिए मटकों में पानी भरते थे ओमप्रकाश चौटाला
आपातकाल की यादें: हिसार जेल में बंदियों के लिए मटकों में पानी भरते थे ओमप्रकाश चौटाला

हिसार। मीसा (मेंटिनेंस आफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट) के तहत एक बंदी के रूप में अगस्त 1975 को हिसार जेल ले जाया गया था मगर तब तक इस जेल से चौधरी देवीलाल जैसे बड़े नेताओं को अन्य जेलों में स्थानांतरित किया जा चुका था। जेल में 19 महीने के दौरान मुझे अन्य मीसा बंदियों ओमप्रकाश चौटाला (पूर्व सीएम), बलवंत राय तायल (पूर्व वित्त मंत्री), बाबू मूलचंद जैन (पूर्व वित्त मंत्री), जगन्नाथ (पूर्व मंत्री), हीरानंद आर्य (पूर्व विधायक), भाई महावीर (पूर्व राज्यपाल), केआर मलकानी (आर्गेनाइजर के पूर्व संपादक), मुरलीधर डालमिया (बिरला के मैनेजर) का सानिध्य मिला। मैं उम्र में इन सबसे छोटा था, हालांकि मेरी वकालत पूरी हो गई थी।

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मीसा बंदियों से एक घंटा पहले उठ जाते थे ओमप्रकाश चौटाला, उस वक्त भी धारा प्रवाह बोलते थे

यहां उस समय 46 नेता मीसा में बंद थे। दोपहर बाद लगभग पांच बजे सभी मीसा बंदियों की एक सभा होती थी। जेल में मेरे जिम्मे सभी वरिष्ठ नेताओं यह काम लगाया था कि मैं इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूरे फैसले से लेकर मीसा के बारे में प्रतिदिन सभी को अपडेट करूं। जेल में वैसे तो मीसा बंदियों के लिए पूरी एक बैरक थी मगर बैरक में बने प्रत्येक कमरे में दो बंदी ही रात्रि विश्रम करते थे।

कमरे में गेट के रूप में लोहे का जाल होता था। तब कमरे के बाहर जाली वाले दरवाजे के साथ पानी का घड़ा और उसके ऊपर एक छोटा या गिलास रखा होता था। हम रात में 9 से 10 बजे के बीच सो जाते थे और सभी सुबह पांच बजे जेल में ही सैर पर मिलते थे। रात में हम सब अपने मटकों में से पांच से आठ गिलास तक पानी पी जाते थे। मगर सुबह जब सैर करके आकर देखते थे तो मटका पूरी तरह भरा होता था।

इसके बारे में काफी दिन बाद पता चला कि ओमप्रकाश चौटाला, जो सुबह एक घंटा पहले जाग जाया करते थे, सभी के मटकों में पानी भर देते थे। एक बार केआर मलकानी ने इसके बारे में चौटाला से पूछा तो उन्होंने कहा था कि इस नेक काम में उनके साथ कोई टोका-टोकी न करे। चौटाला उस समय भी प्रतिदिन किसी न किसी विषय पर सभा में जरूर बोलते थे और तब तक वह धाराप्रवाह बोलने के अभ्यस्त हो चुके थे।

भिवानी के केहर सिंह को नहीं भूल सकते, बंसीलाल उनसे खुन्नस रखते थे

जेल में हमारे साथ भिवानी के गांव बापौड़ा निवासी केहर सिंह भी थे। वह चौधरी देवीलाल के समर्थक थे। जेल में उन्होंने बताया था कि उन्हें बंसीलाल ने इसलिए मीसा में बंद कराया क्योंकि वे दोनों साथ पढ़ते थे और बंसीलाल उनसे खुन्नस रखते थे। केहर सिंह ने बताया कि एक बार वह और बंसीलाल एक शादी में गए। वहां बंसीलाल के गांव गोलागढ़ और उसके गांव बापौड़ा के कई बराती थे। बापौड़ा वाले केहर सिंह को ज्यादा समझदार और गोलागढ़ वाले बंसीलाल को ज्यादा समझदार बता रहे थे। आखिर गांव वालों ने दोनों से 10 से लेकर 20 तक के पहाड़े (टेबल) सुने। पहले बंसीलाल ने पहाड़े सुनाए थे, फिर केहर सिंह ने। केहर सिंह की गलतियों के बावजूद बापौडावासियों ने केहर सिंह को ही विजयी बना दिया। इस पर बंसीलाल चिढ़ गए। जब बंसीलाल सीएम बन गए तो उन्होंने मीसा में केहर सिंह को गिरफ्तार करवा दिया।

आपातकाल के दौरान 19 महीने की जेल काटने के बावजूद भी मैं व्यक्तिगत रूप से चौधरी बंसीलाल की कार्यशैली का प्रशंसक रहा हूं, लेकिन कभी कांग्रेस की विचारधारा से सहमत नहीं रहा। मुझे दुख तब हुआ जब 1996 में भाजपा ने चौधरी बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी से राजनीतिक समझौता किया। तब भाजपा को बंसीलाल से समझौता करने से पहले आपातकाल के लिए माफी मंगवानी चाहिए थी।

(जैसा सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पीएल गोयल ने राज्य ब्यूरो के विशेष संवाददाता बिजेंद्र बंसल को बताया।)

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