एनआरसीई ने मनाया अपना 37वां स्थापना दिवस
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र में स्थापना दिवस समारोह एवं किसान गोष्ठी का शुक्रवार को आयोजन किया गया। केन्द्र में 37वां स्थापना दिवस मनाया गया। एनआरसीई एकमात्र शोध केंद्र है जो विशेष रूप से देश के अश्व प्रजातियों में अनुसंधान का कार्य करता है।
जागरण संवाददाता, हिसार : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र में स्थापना दिवस समारोह एवं किसान गोष्ठी का शुक्रवार को आयोजन किया गया। केन्द्र में 37वां स्थापना दिवस मनाया गया। एनआरसीई एकमात्र शोध केंद्र है जो विशेष रूप से देश के अश्व प्रजातियों में अनुसंधान का कार्य करता है। इस अवसर पर निदेशक डा. यशपाल ने एनआरसीई द्वारा शुरू से ही निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होने न केवल विभिन्न हितधारकों को घोड़ों के स्वास्थ्य देखभाल और घोड़ों के प्रबंधन की सेवा करने के लिए बल्कि कोविड - 19 मामलों के परीक्षण में इसके अपार योगदान पर भी प्रकाश डाला। समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में मुख्य अतिथि के रूप में ईबीएस हिसार के कमांडेंट ब्रिगेडियर एसएस बालाजे शामिल थे। उन्होंने प्रजनन और घोड़े के प्रबंधन परिप्रेक्ष्य और चुनौतियोंश् के एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर स्थापना दिवस व्याख्यान दिया। जिसमें स्थापना के बाद से घोड़े के प्रजनकों की आय बढ़ाने के लिए अनुसंधान और प्रजनन की सुविधा में एनआरसीई और ईबीएस संस्थानों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। इस अवसर पर खेत की स्थिति में घोड़ों की देखभाल और स्वास्थ्य देखभाल के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए केंद्र में एक किसान- वैज्ञानिक इंटरफेस मीट किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। वैज्ञानिकों ने घोड़े के स्वास्थ्य के गुणवत्ता प्रबंधन और घोड़े के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसान के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान प्रदान किया। समारोह का आयोजन डा. बीआर गुलाटी और डा आरके वैद एवं मंच संचालन डा अनुभा पाठक ने किया। केंद्र के स्थापना दिवस और भारत के संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र ने शपथ लेकर और मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों पर चर्चा करके संविधान दिवस का आयोजन भी किया। श्मिल्क मैन डा वर्गीज कुरियन की जयंती पर राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के उत्सव को चिह्नित करने के लिए निदेशक डा यश पाल ने श्वेत क्रांति में डा कुरियन के योगदान पर प्रकाश डाला।