शोधार्थियों के लिए खुशखबरी, अब जीजेयू हिसार में साल में दो बार होगा पीएचडी में प्रवेश
विश्वविद्यालय की ओर से साल में जनवरी और जून-जुलाई महीने में पीएचडी पाठ्यक्रमों में प्रवेश किया जाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालय ने तैयारी शुरू कर दी है। विश्वविद्यालय के सभी विभागों से पीएचडी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सीटों की जानकारी मांगी गई है।
हिसार, जेएनएन। गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में नेट की तर्ज पर साल में दो बार पीएचडी पाठ्यक्रमों में प्रवेश की सुविधा दी जाएगी। हालांकि विश्वविद्यालय की ओर से इस याेजना पर 2019 के अंत में विचार किया जा रहा था, लेकिन उस दौरान यह याेजना शुरु नहीं हो पाई थी और उसके बाद लॉकडाउन लगने के कारण यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई थी। अब दोबारा से विश्वविद्यालय की ओर से इसे शुरु करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
विश्वविद्यालय की ओर से साल में जनवरी और जून-जुलाई महीने में पीएचडी पाठ्यक्रमों में प्रवेश किया जाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालय ने तैयारी शुरू कर दी है। विश्वविद्यालय के सभी विभागों से पीएचडी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सीटों की जानकारी मांगी गई है। विश्वविद्यालय की इस याेजना से प्रोफेसर बनने का सपना संजोये नेट-जेआरएफ करने वाले विद्यार्थियों को पीएचडी में दाखिले के लिए अधिक मौके मिल सकेंगे। जीजेयू के वीसी प्रो. टंकेश्वर कुमार ने बताया कि इससे विभिन्न विषयों में रिसर्च क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। इससे विद्यार्थियों को भी टीचिंग लाइन में जाने के अधिक से अधिक अवसर मिल सकेंगे। विद्यार्थी संबंधित कक्षाओं में परिणाम आने के बाद फिर से पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकेंगे।
42 विषयों में कराई जा रही पीएचडी
जीजेयू की ओर से पीएचडी ट्रिओलोजी, प्रोडक्शन, सागा, ग्रुप टेक्नोलॉजी, फेसिलिटी लेआउट, सेल्यूलर मेनुफेक्चरिंग, सिस्टम डिजाइन, एडवांस्ड मेनुफेक्चरिंग टेक्नोलॉजी, प्रिंट मीडिया, न्यू मीडिया, सोशल मीडिया, कम्यूनिकेशन थ्योरीज, पॉल्यूशन मैनेजमेंट, थर्मल इंजीनियरिंग, ग्रुप टेक्नोलॉजी, ऑप्टिमाइजेशन, जीए, एसए, सहित 42 विषयों में पीएचडी करवाई जा रही है।
यूजी व पीजी के अंकों के अनुसार ही होंगे दाखिले
जीजेयू में पीजी कोर्सेज में कम अंक लेने वाले विद्यार्थी भी पीएचडी में दाखिला ले सकते है। जीजेयू में पीएचडी में एकेडमिक मैरिट के आधार पर दाखिला होता था। इसमें 75 फीसद अंक पीजी कोर्स और 25 फीसद यूजी कोर्स के आधार पर दिए जाते थे। हालांकि साल में दो बार दाखिले शुरू करने के प्रयासों को देखते हुए विश्वविद्यालय की ओर से इनमें बदलाव भी किया जा सकता है।
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