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हिसार में कुल सैंपल में मिल रहे 2 से 3 फीसद संक्रमित, मई की शुरुआत में 60 से 80 फीसद थी औसत

कोरोना की दूसरी लहर में अब कुल सैंपलिंग के सिर्फ 2 या 3 फीसद ही संक्रमित मिल रहे है। यह जिलावासियों के लिए राहत की बात है। जबकि 15 मई से पहले जिले में कुल सैंपल के 60 से 80 फीसद संक्रमित मिल रहे थे।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 08:13 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jun 2021 08:13 AM (IST)
हिसार में कोरोना केस अब 100 से भी नीचे आने लगे हैं

हिसार, जेएनएन। हिसार जिले में अब प्रतिदिन तीन हजार के करीब सैंपलिंग हो रही है। कोरोना की दूसरी लहर में अब कुल सैंपलिंग के सिर्फ 2 या 3 फीसद ही संक्रमित मिल रहे है। यह जिलावासियों के लिए राहत की बात है। जबकि 15 मई से पहले जिले में कुल सैंपल के 60 से 80 फीसद संकंमित मिल रहे थे। वहीं उस दौरान प्रतिदिन 1000 से 1400 तक मामले सामने आने लगे थे। सरकार ने बढ़ते कोरोना केसों को देखते हुए 3 मई को लॉकडाउन लगाया था। हालांकि लॉकडाउन के पहले सप्ताह में कोरोना के मामले कम होने की अपेक्षा बढ़े थे। लाॅकडाउन के दूसरे सप्ताह में कोरोना केस कम होने शुरु हुए, जिसके बाद से कोरोना के मामले लगातार घटे है।

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कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए लगातार जारी रखी जाएगी सैंपलिंग -

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार कोरोना केस बेशक कम हो गए है, लेकिन सैंपलिंग कार्यों में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी। सैंपलिंग का कार्य सुचारु रुप से चलाया जाएगा, ताकि कोरोना केसों की वास्तविक स्थिति का पता लगता रहे। सीएमओ डा. रत्नाभारती ने बताया कि कोरेाना से बचाव का एकमात्र उपाय, मास्क पहनना, सैनिटाइज का इस्तेमाल और उचित दूरी बनाकर रखना है। इसके साथ ही अगर समय पर कोरोना का उपचार करवा लिया जाए तो यह स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक रहता है, क्योंकि कई मामलों में देखने में आया है जो लोग उपचार में देरी करवाते है उनमें संक्रमण अधिक फैल जाता है और स्वस्थ होने में भी काफी समय लगता है।

एनआरसी और अग्राेहा लैब में प्रतिदिन होती है 2 हजार सैंपलों की जांच -

एनआरसी और अग्रोहा की लैब में प्रतिदिन 2 हजार के करीब सैंपलों की जांच की जा रही है। एनआरसी लैब में पिछले वर्ष सरकार से अनुमति मिलने के बाद आरटीपीसीआर मशीन से कोरोना सैंपलों की जांच शुरु की गई थी। इसके बाद से वहां रिसर्च कार्य प्रभावित हो रहा था। जिसके चलते कोई नई रिसर्च वैज्ञानिक नहीं कर पा रहे थे। वहीं इस दौरान साइंटिस्ट संक्रमित भी हुए है। वहीं अग्रोहा मेेडिकल की लैब में जीजेयू से लैब टेक्नीशियन लगाए गए थे। जिन्हें प्रति महीना 60 हजार रुपये में रखा गया था।


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