मेम के बाग के मामले में विधायक के बेटे, पत्नी, तहसीलदार व पूर्व मालिकों को नोटिस जारी
मेम के बाग की जमीन का मामला एक बार फिर हाईकोर्ट में पहुंच गया है।
संवाद सहयोगी, हांसी: मेम के बाग की जमीन का मामला एक बार फिर हाईकोर्ट में पहुंच गया है। बाग के रास्तों की जमीन की रजिस्ट्री करवाने के बड़े आरोप लगे हैं। मामले में कोर्ट में याचिका मंजूर करते हुए 17 लोगों को नोटिस जारी कर दिये हैं। जिनमें तत्कालीन राजस्व अधिकारी, विदेश में बैठे जमीन के पूर्व मालिक के नाम भी शामिल हैं। खास बात ये है कि एक बार फिर विधायक विनोद भयाना के परिवार का नाम मेम के बाग की जमीन के विवाद में सामने आया है। विधायक के बेटे व पत्नी को भी नोटिस जारी हुआ है। बता दें कि स्कीनर्स हार्स रेजिमेंट के इतिहास से जुड़ी मेम के बाग की जमीन पर निर्माण करने का मामले लंबे समय से विवादों में है। अब खसरा नंबर 1037 के रास्तों की जमीन की रजिस्ट्रियां करके बेचने का मामला सामने आया है।
याचिकाकर्ता हरि सिंह की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले में सुनवाई की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया है और 12 जनवरी 2022 को सुनवाई की तारीख मुकर्रर की है। जीता खेड़ी निवासी व कांग्रेस नेता ओमप्रकाश पंघाल के रिश्तेदा हरिसिंह की याचिका पर हाईकोर्ट ने मार्गेट स्किनर, जान स्किनर इरान फिलिप स्किनर, अन्ना मार्गेटा स्किनर, फियोना माइटल, बलवंत सिंह, अश्वनी कुमार, शालिनी चौधरी, सरोज सांगवान, दीपक गर्ग भिवानी, विधायक विनोद भयाना के संबंधित हिसार निवासी बह्म नागपाल, विनोद भयान के पुत्र साहिल भयाना, विनोद भयाना की धर्मपत्नी सुनीता भयाना, भिवानी निवासी प्रेम गर्ग, तहसीलदार अनिल परूथी व एडवोकेट हरिश चावला को नोटिस भेजकर 12 जनवरी 2022 तक जवाब देने के आदेश जारी किए हैं।
13 कनाल 17 मरले जमीन पर दर्ज हैं रास्ते
मेम के बाग की जमीन के खसरा नंबर 1037 के अंदर करीब 13 कनाल 17 मरले की जमीन पर राजस्व विभाग के अंदर रास्ते दर्ज हैं। आरोप है कि इन जमीन की रजिस्ट्री करवाई ली गई। बीते वर्ष अंदर खाते सत्ता का दुरुपयोग करते हुए रजिस्ट्री करवाई गई। यहां तक की एक रजिस्ट्री का तो इंतकाल भी दर्ज करवा लिया गया।
1038 का मामला भी विवादों में
बजरंग आश्रम रोड की तरफ लगती बाग की जमीन पर दुकानों का निर्माण करने के लिए एनओसी जारी करने का मामला भी शांत नहीं हुआ है। इस मामले में ज्वाइंट कमिश्नर ने भी जांच करते हुए निर्माण की मंजूरी देने के मामले में कई सवाल खड़े किए थे।
ये है मेमे के बाद की जमीन का इतिहास
वर्ष 1800 के आसपास मराठों व हरियाणा के शासक जार्ज थामस एवं ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच समझौता हुआ था। जिसके बाद कंपनी ने जेम्स स्कीनर्स को कमान देकर भेजा था और थामस की सेना भी समझौते के बाद अंग्रेजी सेना में विलय हो गई थी। जार्ज थामस ने हांसी को ही शासन को केंद्र बना रखा था और यहीं आकर जेम्स स्किनर्स ने वर्ष 1803 में रेजिमेंट का मुख्यालय बना लिया। जेम्स स्कीनर्स की अगुआई में रेजिमेंट ने इरान, इटली, अफगानिस्तान आदि कई देशों में हुए युद्धों में हिस्सा लेते हुए शौर्य दिखाया। आजादी से पूर्व ही अंग्रेजों ने रेजिमेंट का मुख्यालय हांसी से बदल दिया था और जम्स स्कीनर्स के परिवार के सदस्य यहां रहते थे। भारत के आजाद होने के बाद जमीन की मलकियत में काफी बदलाव हुए। विदश में बैठे स्कीनर्स की आगे की पीढि़यों ने निजी व्यक्तियों को जमीन बेच दी। सेना ने 2010 में भारतीय पुरातत्व विभाग को जमीन की खदीद-फरोख्त रोकने के लिए कहा था।
वर्जन
हरी सिंह बनाम माग्रेट एलाइस स्कीनर्स के मामले में कोर्ट ने 17 लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किए हैं। इस मामले में सुनवाई आगामी 12 जनवरी को होगी। - नितिन जैन, एडवोकेट