तीन शहरों के सर्वे में मिली जानकारी, कुल कचरे का दो फीसद ई-वेस्ट और 15 फीसद है प्लास्टिक
वेस्ट संग्रहण के लिए निगम बनाएगा कलेक्शन सेंटर। ई-वेस्ट रिसाइकिल के लिए भी बनेगा कलेक्शन सेंटर। एजेंसी प्रतिनिधियों ने कमिश्नर एसई और सफाई शाखा स्टाफ के सामने दी प्रजंटेशन
हिसार, जेएनएन। शहर में इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई-वेस्ट) बढ़ रहा है। इस ई-वेस्ट के संग्रहण के लिए अब नगर निगम प्रशासन ने प्लानिंग शुरु की है। निगम प्रशासन शहर में ई-वेस्ट संग्रहण करने के लिए कलेक्शन सेंटर बनाने पर प्लानिंग कर रहा है। इसी कड़ी में नगर निगम में गुरुग्राम की एक कंपनी के प्रतिनिधि निगम पहुंचे। निगम कमिश्नर और एसई को ई-वेस्ट संग्रहण का डेमो दिखाया।
डेमो के दौरान कंपनी प्रतिनिधियों ने बताया कि उन्होंने सीएम सिटी करनाल सहित गुरुग्राम और फारुखनगर में संग्रहण केंद्र बनाया हुआ है। इन तीनों शहरों में सर्वे में जानकारी मिली कि कुल कचरे का औसतन दो फीसद ई-वेस्ट होता है, जबकि 12-15 फीसद प्लास्टिक है। यह जानकारी निगम प्रशासन से सांझा की। उधर निगम प्रशासन ने सेग्रीगेशन और ई-वेस्ट संग्रहण पर मंत्रणा शुरु कर दी है।
कुल कचरे का 2 फीसद है ई-वेस्ट और 15-20 फीसद प्लास्टिक
नगर निगम दायरे में प्रतिदिन औसतन 140 से 160 टन कचना निकलता है। जो डंपिंग स्टेशन पर डंप किया जाता है। कंपनी प्रतिनिधियों की रिसर्च का डाटा को आधार माना जाए तो कुल कचरे के दो फीसद यानि 3.2 टन कचरा ई-वेस्ट है। तीन शहरों के सर्वे में सामने आया कि 12 से 15 फीसद प्लास्टिक निकलता है। जिसका निपटान वैज्ञानिक पद्धति से नहीं हो पा रहा है। यह कूड़ा बिनने वालों उठाकर मैनुअली रुप से ही अलग कर उसे बड़े कबाड़ी को बेचते है। वे अपने हिसार से उनमें से प्लास्टिक व अन्य धातू की सामग्री अलग कर उन्हें बेच देते है। बाकी कचरे में फैंक देते है। कंपनी प्रतिनिधि राकेश ने कहा कि यदि बात विश्व स्तर की करते तो विश्व में एक व्यक्ति औसतन 6 किग्रा प्रतिदिन ई-वेस्ट जनरेट करता है। विश्व में भारत ई-वेस्ट जनरेट में दूसरे स्थान पर है।
कंपनी ने निगम प्रशासन के साथ मिलकर सेंटर स्थापना की मांगी अनुमति
गुरुग्राम की निजी कंपनी के प्रतिनिधि राकेश कुमार, सुशांत और उमा ने निगम कमिश्नर अशोक गर्ग और एसई रामजीलाल से मुलाकात की। प्रतनिधियों ने एसई रामजीलाल और सफाई शाखा के सीएसआई सुभाष सैनी व उनकी टीम के सामने ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर के बारे में अपना प्रपोजल प्रस्तुत किया। कंपनी प्रतिनिधि राकेश कुमार ने कहा कि ई-वेस्ट पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरनाक है। ई-वेस्ट मैनेजमेंट के जरिए इससे बचा जा सकता है। ई-वेस्ट को गलत तरीके से निपटान करने वालों को इससे कैंसर सहित अन्य कई खतरनाक बीमारी तक हो सकती है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। साथ ही बताया कि कैसे इसका संग्रहण होगा और उसके बाद गुरुग्राम में लगे प्लांट में कैसे वैज्ञानिक पद्धति से उसका निपटान होगा इस बारे में भी बताया।
शहर में चलाया जाएगा ई-वेस्ट के प्रति जागरुकता अभियान
एनजीटी के दिशा निर्देशानुसार शहर में ठोस और गीले कचरे के सेग्रीगेशन के प्रति लोगों को जागरुक किया जाएगा। इसके लिए नुक्कड़ नाटक से लेकर कैंपेन तक चलाए जाएंगे। निजी कंपनी ने इस संदर्भ में अपनी और से जागरुकता कैंपेन चलाने के लिए अनुमति की कमिश्नर से मांग की । कंपनी प्रतिनिधि ने कहा कि कमिश्नर ने जागरुकता अभियान के लिए कमिश्नर हामी भर दी है। अभी आचार संहिता लगी हुई है। इसके बाद ही इस प्रोजेक्ट पर फाइनल फैसला हो पाएगा।
ये है ई-वेस्ट
. कंप्यूटर्स व उनसे जुड़े उपकरण जैसे सर्वर, डेस्कटॉप कंप्यूटर (सीपीयू), मॉनीटर, की-बोर्ड और माउस, लैपटॉप, नोटबुक, प्रिंटर, स्कैनर, टोनर, इत्यादि।
. आइटी उपकरण जैसे टीवी, ट्यूनर बॉक्स, फ्लॉपी, सीडी, डीवीडी, पेन ड्राइव, एक्सटर्नल हार्ड डिस्क, एक्सटर्नल सीडी या डीवीडी, डैट ड्राइव, स्पीकर, लैपटॉप बैट्री, हैंड हेल्ड डिवाइस, वीसी इक्विपमेंट, पॉवर केबल, डाटा केबल, यूपीएस और मोबाइल उपकरण व गैजेट्स इत्यादि।
--निजी कंपनी प्रतिनिधि से ई-वेस्ट के बारे में अपनी प्रजेंटेशन दी है। सफाई शाखा के अधिकारियों ने ई-वेस्ट के बारे में समझा। कंपनी ने हिसार में ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर बनाने के लिए निगम से अनुमति मांगी है। इस बारे में आचार सङ्क्षहता के बाद कमिश्नर के नेतृत्व में फैसला लिया जाएगा।
- रामजीलाल, एसई, नगर निगम हिसार।
--निजी कंपनी प्रतिनिधि शहर में ई-वेस्ट के प्रति जागरुकता कैंपेन शुरु करना चाहते है। उन्होंने अपना प्रजंटेशन दिया है। निगम का भी प्रयास रहता है कि जनता अधिक से अधिक जागरुक हो। आचार संहिता के बाद स्वच्छता और जागरुकता के लिए कार्य किया जाएगा।
- अशोक गर्ग, कमिश्नर नगर निगम हिसार।