परिवार पहचान पत्र में नई मुसीबत, झाड़ू-पोंछा लगाने वाली विधवा की आमदनी दिखाई 13 लाख रुपये
(पीपीपी) की कड़ी शर्तें लोगों के लिए मुसीबत बनकर आए हैं। दावा किया जा रहा है कि पीपीपी में दो बार से अधिक संशोधन नहीं हो सकता। कई लोगों की पेंशन काट दी गई। जब संशोधन के प्रयास किए तो त्रुटियों को दूर करने में नियम आड़े सामने आ गए।
अरुण शर्मा, रोहतक। परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) की कड़ी शर्तें लोगों के लिए मुसीबत बनकर आए हैं। दावा किया जा रहा है कि पीपीपी में दो बार से अधिक संशोधन नहीं हो सकता। कई लोगों की पेंशन काट दी गई। जब संशोधन के प्रयास किए तो त्रुटियों को दूर करने में नियम आड़े सामने आ गए। अब पार्षदों के पास लोग शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। पार्षदों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। हालांकि सरकार से मांग की है कि पीपीपी की जो भी खामियां हैं उन्हें दूर किया जाए।
पेंशनरों के लिए पीपीपी ने नई टेंशन दे दी है। कुछ माह पहले तक पेंशन उनके खातों में आ रही थी। फिलहाल कुछ पार्षदों ने शहरी क्षेत्र के सभी 22 वार्डों में यह समस्या सामने आने की शिकायत की है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। जल्द ही पार्षद इस प्रकरण में उच्चाधिकारियों से मिलकर समस्या के निराकरण की मांग करेंगे। वार्ड-14 के पार्षद राधेश्याम ढल ने चार दिन के अंदर सभी पार्षदों के हस्ताक्षर वाले पत्र उच्चाधिकारियों को सौंपने का फैसला लिया है।
इन मामलों से समझें परेशानी :
केस एक : पति नहीं जवान बेटे की भी मौत पेंशन भी हो गई बंद
गांधी कैंप निवासी शीलावंती को विधवा पेंशन मिलती थी। करीब तीन-चार माह से पेंशन खाते में नहीं आ रही। बैंक में कई चक्कर काटे तो पता चला कि दो लाख तक के बजाय पांच लाख रुपये से अधिक वार्षिक आमदनी है। बाद में इस त्रुटि को ठीक करा दिया। लेकिन यह त्रुटि ठीक नहीं हुई, इसलिए पेंशन की टेंशन खड़ी हो गई। इनका दर्द यही है कि पति हैं नहीं और कुछ दिन पहले एक जवान बेटे की भी मौत हो गई। अधिकारी इस दर्द को समझने के बजाय साक्ष्य मांग रहे हैं।
निजी अस्पताल में सफाई कर्मचारी पद पर कार्यरत पाड़ा मुहल्ला निवासी विधवा सुनीता का कहना है कि कुछ माह पहले तक उनकी पेंशन आ रही थी। पता किया तो परिवार पहचान पत्र में 1.30 लाख के बजाय 13 लाख वार्षिक आमदनी दिखा दी। विधवा सुनीता की पेंशन काट दी, जबकि उनके दोनों बच्चों की पेंशन आ रही है।
गांधी कैंप के निवासी सतीश शर्मा के लिए बुढ़ापा पेंशन पहेली बन गई है। कुछ माह पहले तक इनके खाते में पेंशन आती थी। बुढ़ापा पेंशन बंद हुई तो इन्होंने अधिकारियों से संपर्क किया। इन्हें बताया गया कि पहचान पत्र में अधिक आमदनी भर दी गई है। सही कराने के बावजूद भी राहत नहीं मिली।
छोटूराम चौक के निकट घरों में सफाई का कार्य करने वाली एक महिला की पेंशन बंद दी। इन्हें पता चला तो शिकायत की। बाद में इन्हें पता चला कि परिवार पहचान पत्र में नौ लाख रुपये वार्षिक आमदनी दिखाई जा रही है। सरकारी नौकरी भी होने का हवाला देकर पेंशन बंद दी।
महाबीर गोदारा, जिला समाज कल्याण अधिकारी, समाज कल्याण विभाग
पहले जिन्होंने परिवार पहचान पत्र बनवाए थे उन्होंने सही आमदनी भर दी होगी। जब सही आमदनी भरेंगे तो बाद में सत्यापन में दिक्कतें तो आएंगी ही। कुछ इस तरह के मामले संज्ञान में आए हैं।
विनोद धनखड़, नोडल अधिकारी, परिवार पहचान पत्र
राधेश्याम ढल, पार्षद, वार्ड-14