प्रदर्शनकारियों द्वारा की जाने वाली सरकारी या निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई का कानून
करीब पांच साल पहले हरियाणा राज्य में हुआ जाट आरक्षण आंदोलन इसका बड़ा उदाहरण है। उस समय करीब 20 हजार करोड़ रुपये की सरकारी व निजी संपत्ति का नुकसान हुआ था। 41 लोगों की जान अलग से गई।
हिसार, अनुराग अग्रवाल। हरियाणा सरकार ने विधानसभा के बजट सत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कानून बनाया है। ऐसा कानून जो किसी आंदोलन, विरोध प्रदर्शन या दंगे के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा की जाने वाली सरकारी या निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई कराने में सक्षम है। भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार द्वारा बनाए गए कानून पर कांग्रेस ने खूब हो-हल्ला मचाया है, लेकिन हकीकत यही है कि राज्य में जिस तरह किसी भी आंदोलन के दौरान सरकारी व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की परंपरा चल पड़ी है, यह कानून ऐसे तमाम लोगों के हाथ और पैरों में बेड़ियां डालने का काम करेगा।
करीब पांच साल पहले राज्य में हुआ जाट आरक्षण आंदोलन इसका बड़ा उदाहरण है। उस समय करीब 20 हजार करोड़ रुपये की सरकारी व निजी संपत्ति का नुकसान हुआ था। 41 लोगों की जान अलग से गई। सरकार की नजर में हालांकि यह नुकसान करीब 900 करोड़ रुपये का था, लेकिन इस नुकसान की भरपाई के लिए व्यापारी, उद्यमी, छोटे दुकानदार और रेहड़ी-ठेली लगाने वाले गरीब लोग आज तक मारे-मारे फिर रहे हैं। तब कुछ लोगों को मुआवजा मिला तो अधिकतर इससे वंचित रह गए थे।
हरियाणा सरकार द्वारा बनाया गया संपत्ति क्षति वसूली कानून ऐसे तमाम लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेगा, जिन्हें किसी भी आंदोलन के दौरान उपद्रव, हिंसा या आगजनी होने की स्थिति में अपनी संपत्ति के नुकसान का अक्सर भय सताता है। कांग्रेस ने विधानसभा में यह कहते हुए इस कानून का विरोध किया कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन चला रहे लोगों को डराने की मंशा से यह कानून लाया गया है, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृह मंत्री अनिल विज ने कांग्रेस की इस आशंका को यह कहते हुए निर्मूल साबित करने की कोशिश की है कि इस कानून के अमल में आने के बाद उपद्रवियों पर कड़ा शिकंजा कसा जा सकेगा। वास्तविक प्रदर्शनकारियों की आड़ में असामाजिक तत्वों पर अंकुश तो लगेगा ही, साथ ही आंदोलन का नेतृत्व कर रहे ऐसे तमाम राजनेताओं को भी अपनी सीमा में रहने के लिए मजबूर कर देगा, जो आंदोलन का गलत लाभ उठाने की रणनीति बनाने से गुरेज नहीं करते रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के बाद हरियाणा देश का ऐसा दूसरा राज्य है, जिसने ‘हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान संपत्ति क्षति वसूली कानून’ बनाया है। प्रदेश में कोई सरकार ऐसी नहीं रही, जिसके कार्यकाल में बड़े आंदोलन नहीं हुए। उन आंदोलनों में अरबों रुपये की सरकारी व निजी संपत्ति का नुकसान हुआ। प्रदेश में पिछले साढ़े छह साल के दौरान ही तीन बड़े आंदोलन हुए। जाट आरक्षण आंदोलन में भारी नुकसान हुआ। इसी तरह डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को हुई सजा के बाद कई हजार करोड़ रुपये की संपत्ति आग के हवाले हो गई। करौंथा आश्रम के संचालक रामपाल की गिरफ्तारी के विरोध में भी राज्य में बड़ा आंदोलन हुआ। हरियाणा सरकार साढ़े छह साल पहले यह कानून ले आती तो कई हजार करोड़ रुपये का नुकसान नहीं हो पाता तथा उपद्रवियों के साथ-साथ उन्हें उकसाने वाले राजनेताओं की कारगुजारियों पर भी अंकुश लगा पाने में कामयाबी मिल जाती।
हरियाणा सरकार का मानना है कि उपद्रवी या दंगाई का कोई चेहरा नहीं होता। इसलिए लोगों की संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए बरसों तक अदालतों के चक्कर न काटने पड़ें, इसलिए ‘हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान संपत्ति क्षति वसूली कानून’ उनके लिए बड़ा मददगार साबित होगा। गृह मंत्री अनिल विज का कहना है कि हमारे द्वारा बनाया गया कानून किसी भी राजनीतिक विचारधारा की अभिव्यक्ति करने से रोकने को नहीं है। हम कांग्रेस से पूछना चाहते हैं कि आप आग लगाने वालों के साथ हैं या जिनके यहां आग लगी है, उनके साथ हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का मानना है कि कानून तोड़ने वालों के दिल में डर तो होना ही चाहिए।
अब मतांतरण विरोधी कानून बनाने की तैयारी : हरियाणा सरकार अब मतांतरण विरोधी कानून भी बनाने की तैयारी कर रही है। इसी बजट सत्र में इससे संबंधित बिल लाया जाने वाला था, लेकिन कानूनविदों ने उस पर कुछ आपत्तियां लगा दी थीं। अब हरियाणा सरकार ने इन आपत्तियों का निस्तारण कर दिया है। चूंकि बजट सत्र खत्म हो चुका है, इसलिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस संबंध में अध्यादेश लाने का संकेत दिया है। विश्व हिंदू परिषद ने इसको लाने के लिए भाजपा सरकार पर भारी दबाव बनाया हुआ है। विहिप की सर्वे रिपोर्ट में यह कई बार सामने आ चुका कि मेवात (नूंह) क्षेत्र में मतांतरण की घटनाएं लगातार हो रही हैं। फरीदाबाद की निकिता का कत्ल लव जिहाद से जुड़ा बड़ा मामला है, जिस पर देश भर में बवाल हो चुका है। विशेष अदालत इस केस में दो आरोपितों को दोषी करार दे चुकी है। यदि किसी कारण से अध्यादेश लाने में देरी हुई तो विधानसभा के अगले सत्र में मतांतरण विरोधी कानून बनना तय है।
[स्टेट ब्यूरो चीफ, हरियाणा]