हरियाणा एनसीआर में बायोमास फ्यूल के आधार पर स्थापित हो सकेंगी नई इंडस्ट्री
एनसीआर में अब प्रदूषण की दृष्टि से नई इंडस्ट्री स्थापित करने की राह आसान हो गई है। अब एनसीआर क्षेत्र में सीएनजी पीएनजी एलपीजी प्रोपेन ब्यूटेन और बायोगैस के बिना बायोमास के फ्यूल का प्रयोग करने वाली नई इंडस्ट्री को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी यानी अनुमति मिल सकेगी।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में अब प्रदूषण की दृष्टि से नई इंडस्ट्री स्थापित करने की राह आसान हो गई है। अब एनसीआर क्षेत्र में सीएनजी, पीएनजी, एलपीजी, प्रोपेन, ब्यूटेन और बायोगैस के बिना बायोमास के फ्यूल का प्रयोग करने वाली नई इंडस्ट्री को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी यानी अनुमति मिल सकेगी। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने आदेश जारी कर बायोमास फ्यूल का प्रयोग करने वाली नई इंडस्ट्री को संचालन की अनुमति देने के निर्देश दिए हैं।
ये आदेश सिर्फ एनसीआर के उन क्षेत्रों में ही लागू होंगे जहां पर पीएनजी व सीएनजी गैस की पाइपलाइन से सप्लाई के लिए संसाधन नहीं हैं। दरअसल, 27 नवंबर 2020 को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आदेश जारी कर एनसीआर के 24 जिलों में ब्वायलर व भट्ठी आदि में क्लीयर फ्यूल का प्रयोग न करने वाली नई इंडस्ट्री का स्थापना पर रोक लगा दी थी।
बोर्ड ने द एयर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पोल्यूशन) एक्ट 1981 की धारा 18 (1)(बी) के तहत कोयले व अन्य अवैध ईंधनों का प्रयोग करने वाली नई औद्योगिक इकाइयों को अनुमति न देने के आदेश दिए थे। बोर्ड ने दिल्ली, राजस्थान, यूपी व हरियाणा के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैनों को पत्र लिखकर इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के आदेश दिए थे।
इन आदेशों में वायु प्रदूषण से संबंधित सिर्फ वहीं इंडस्ट्री स्थापित हो सकती थी जो क्लीयर फ्यूल यानी एलपीजी, पीएनजी, सीएनजी, प्रोपेन, ब्यूटेन व बायोगैस का प्रयोग करती हो। सीपीसीबी के इन आदेशों से बहादुरगढ़ व रोहतक जिले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से क्लीयर फ्यूल का प्रयोग न मिलने पर नई इंडस्ट्री को अनुमति देने से इंकार कर दिया था।
मगर औद्योगिक एसोसिएशनों की मांग पर आयोग ने अब बायोमास फ्यूल का प्रयोग करने वाली नई इंडस्ट्री को अनुमति देने के आदेश जारी कर दिए हैं। इससे अब एनसीआर क्षेत्र में औद्योगिक निवेश के साथ-साथ रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।
ये है बायोमोस फ्यूल:
- तूड़ी
- बायो ब्रेकेट
- राइस हस्क
- बादाम व अखरोट के छिलके
- मस्टर्ड हस्क
- एग्रो वेस्ट
..आयोग ने बायोमोस फ्यूल का प्रयोग कर नई इंडस्ट्री लगाने की अनुमति देने के आदेश जारी किए हैं। अब जो भी नई कंपनी बायोमास फ्यूल पर अनुमति लेगी, उसे प्रदूषण बोर्ड की एनओसी नियमानुसार जारी कर दी जाएंगी।
---दिनेश यादव, क्षेत्रीय अधिकारी, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बहादुरगढ़