ग्रीन बिल्डिंग कान्सेप्ट के आधार पर तैयार हो रहा हिसार लुवास का नया कैंपस, इलेक्ट्रिक वाहन को मिलेगी एंट्री
आजादी के बाद 1948 में पशु चिकित्सा महाविद्यालय को लाहौर से हिसार में स्थानांतरित किया गया था। सन 1971 में यह चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय का हिस्सा बन गया। 2010 में इस महाविद्यालय का विस्तार कर इसे प्रदेश के पहले पशु विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया।
हिसार, जागरण संवाददाता। हिसार लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का सिरसा रोड पर नया कैंपस का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। विश्वविद्यालय में सभी भवन ग्रीन बिल्डिंग कान्सेप्ट के आधार पर बनाए जा रहे हैं। भवनों के ऊपर जहां सोलर सिस्टम लगाए जाएंगे। वहीं बारिश के पानी की एक बूंद भी व्यर्थ नहीं बहने दी जाएगी। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। भूकंप रोधी होने के साथ ही भवनों में खिड़कियां इस प्रकार की और इस तरह की लगाई जाएंगी जो गर्मी को अंदर नहीं आने दें। ताकि एयरकंडीशन की कम से कम जरूरत हो।
केवल इलेक्ट्रिक वाहन जाएंगे अंदर
विश्वविद्यालय कैंपस को पूरी तरह से पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बनाया जाएगा। ग्रीहा यानि ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग सिस्टम इंडिया के मानदंडों के अनुसार भवन बनाए जा रहे हैं। योजना बनाई जा रही है कि केवल इलेक्ट्रोनिक वाहनों को ही अंदर जाने की अनुमति होगी। इसके लिए बकायदा विश्वविद्यालय ई-रिक्शा आदि का प्रबंध करेगा। सभी विजिटर्स के वाहनों की पार्किंग विश्वविद्यालय कैंपस के बाहर बनाई जाएगी।
विश्वविद्यालय के बारे में
आजादी के बाद 1948 में पशु चिकित्सा महाविद्यालय को लाहौर से हिसार में स्थानांतरित किया गया था। सन 1971 में यह चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय का हिस्सा बन गया। 2010 में इस महाविद्यालय का विस्तार कर इसे प्रदेश के पहले पशु विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया। आज अपना कैंपस न होते हुए भी विश्वविद्यालय की अपनी पहचान है। प्रदेश भर से गंभीर रूप से बीमार पशुओं को इलाज के लिए यहां लाया जाता है। यहां के अस्पताल में पशुओं की सर्जरी, आपरेशन आदि से लेकर हर तरह का इलाज होता है। विवि में पशुओं के एक बड़े चिकित्सालय के अलावा क्लीनिक, सेंट्रल लेबोरेट्री, एनिमल रिसर्च फार्म और डिजीज फ्री स्मॉल एनिमल हाउस आदि सुविधाएं भी हैं। विश्वविद्यालय में बीवीएससी, एमवीएससी, पीएचडी, वेटरनिरी डिप्लोमा, बीटेक इन डेयरी साइंस आदि कोर्स की पढ़ाई होती है।