नए कृषि कानून से खुली राह, मंडी में दाम घटे किसान सीधे बेचने लगे सब्जियां, कमा रहे मुनाफा
पुराने कृषि विपणन कानून में प्रावधान है कि किसान सीधे अपनी फसल उपभोक्ता को नहीं बेच सकता। यदि मार्केट कमेटी के अधिकारी चाहते हैं तो इन पर कार्रवाई कर सकते हैं। मार्केट कमेटी के अधिकारियों का कहना नए कानून में किसान फल व सब्जी सीधे बेच सकते हैं।
हिसार/फतेहाबाद [राजेश भादू]। परंपरागत खेती छोड़ बड़ी संख्या में किसान सब्जी उत्पादन में लग गए हैं। इसका फायदा आम उपभोक्ताओं को खूब मिला रहा है। लेकिन सब्जी की खेती करने वालों को भाव नहीं मिल रहे। रबी सीजन में तो सब्जियों के रेट बहुत ही कम हैं। मसलन गाजर, गोभी सहित अन्य सब्जियों के मंडियों में खरीदार नहीं हैं। ऐसे में किसान अपने खेत या आसपास के रोड पर सब्जी बेचने लग गए। इससे किसानों को लाभ हो रहा है। हालांकि पुराने कृषि विपणन कानून में प्रावधान है कि किसान सीधे अपनी फसल उपभोक्ता को नहीं बेच सकता। यदि मार्केट कमेटी के अधिकारी चाहते हैं तो इन पर कार्रवाई कर सकते हैं।
सब्जी मंडी में अब गाजर 2 से 3 रुपये किलो तक पहुंच गई है। गोभी का रेट तो 2 रुपये किलो भी नहीं है। ऊपर से मंडी के दलाल किसानों से उनकी फसल बिकवाने के नाम पर 10 फीसद दामी यानी कमिशन अलग से लेते हैं। इसके अलावा 2 फीसद लगने वाली मार्केट फीस भी काटी जाती है। इसका तोड़ अनेक किसानों ने निकाला है। ये किसान अब फसल को सब्जी मंडी में लाने के बजाय सीधे बेचने लग गए हैं। इससे किसानों को मंडी के मुकाबले दो से तीन गुना भाव मिल रहा है।
किसान बोले- खूब मिल रहे खरीदार
गांव काजल हेड़ी के रोडवेज से रिटायर्ट कर्मचारी आत्माराम ईशरवाल ने इस वर्ष 1 एकड़ में गाजर की खेती की थी। मंडी में भाव कम हुए तो वे फसल गांव में ही बेचने लग गए। इसका उन्हें फायदा मिला। गांव में अकेले गाजर उत्पादक किसान है तो खरीदार भी खूब मिल रहे हैं। इसी तरह कुलां में गोभी उत्पादक किसान हरङ्क्षवद्र ङ्क्षसह मंडी में फसल बेचने की बजाए वे सीधे उपभोक्ताओं को बेच रहे है। गांव गोरखपुर के किसान खुशीराम यादव तो लंबे समय से अपने खेत में सब्जी उगाकर उसे भूना-अग्रोहा रोड पर भाखड़ा पुल के पास बेच देते हैं।
मंडी में बस आढ़तियों की मनमानी : किसान
किसानों का कहना है कि मंडी में तो बस आढ़तियों की लूट है। वे किसानों से 10 फीसदी दामी यानी कमिशन लेते है। इतना ही नहीं 10 फीसदी दामी पर ही वे आगे फुटकर विक्रेता से लेते है। अब सब्जियों के रेट टाउन हुए है तो इससे सिर्फ आढ़तियों को कमिशन ही बच रहा है। सब्जी मंडी के आढ़तियों की वजह से उपभोक्ताओं को सब्जी महंगी बिकती है। इसकी बानगी इससे है कि अब फतेहाबाद सब्जी मंडी की एक छोटी से दुकान की कीमत भी दो से ढाई करोड़ रुपये है।
सब्जी मंडी में 2 फीसद मार्केट फीस निर्धारित : सचिव
मार्केट कमेटी सचिव संजीव सचदेवा ने बताया कि पुराने कानून में प्रावधान है कि किसान अपनी फसल सीधे उपभोक्ता को नहीं बेच सकता। सब्जी मंडी में दो फीसद टैक्स निर्धारित है। एक फीसद मार्केट व एक ही फीसद एचआरडीएफ टैक्स लगा हुआ है। जो सब्जी व फल खरीदार को लगता है। हालांकि अब कई किसान मंडी में सब्जियों के रेट कम हुए है तो वे सीधी फसल बेच रहे हैं।