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किसानों के लिए वरदान बन रहा कुदरती खेती अभियान, रोहतक में जन संवाद कार्यक्रम में पहुंचे किसान

कुदरती खेती किसानों के लिए वरदान बन रहा है। इसी का परिणाम है कि रविवार को रोहतक में हुए एक दिवसीय संवाद कार्यक्रम में रोहतक ही नहीं बल्कि प्रदेश के विभिन्न जिलों से किसानों ने शिरकत की। कार्यक्रम में पहुंचे प्रगतिशील किसानों ने अपने अपने नए अनुभव भी सांझा किए।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 02:19 PM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 02:19 PM (IST)
किसानों के लिए वरदान बन रहा कुदरती खेती अभियान, रोहतक में जन संवाद कार्यक्रम में पहुंचे किसान
रोहतक में एक दिवसीय संवाद कार्यक्रम में रोहतक ही नहीं बल्कि प्रदेश के विभिन्न जिलों से किसानों ने शिरकत की।

जागरण संवाददाता, रोहतक : एमडीयू के अर्थशास्त्र विभाग के भूतपूर्व प्रो. राजेंद्र चौधरी की मेहनत रंग ला रही है। उनकी ओर से शुरू किया गया कुदरती खेती अभियान अनेक किसानों के लिए वरदान बन रहा है। इसी का परिणाम है कि रविवार को रोहतक में हुए एक दिवसीय संवाद कार्यक्रम में रोहतक ही नहीं बल्कि प्रदेश के विभिन्न जिलों से किसानों ने शिरकत की। कार्यक्रम में पहुंचे प्रगतिशील किसानों ने अपने अपने नए अनुभव भी सांझा किए। ताकि अधिक से अधिक किसानों को रुख कुदरती खेती की ओर हो सके। रोहतक में दोपहर को शुरू हुआ यह कार्यक्रम शाम तक चलेगा।

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कार्यक्रम में रोहतक, जींद, हिसार, झज्जर, भिवानी, सोनीपत सहित अनेक जिलों के प्रगतिशील किसान शामिल हुए हैं। कार्यक्रम में किसान मिट्टी की जांच से लेकर कीट प्रबंधन तक की जानकारी बारीकी से दे रहे हैं, यहां तक की कुदरती खेती से पैदावार भी अधिक होने का दावा कर रहे हैं। रोहतक के नितानंद स्कूल में चल रहे कार्यक्रम में सौ से अधिक किसान भाग ले रहे हैं।

कुदरती खेती अभियान के सलाहकार प्रो. राजेंद्र चौधरी ने बताया कि किसानों के अपने अनुभवों पर आधारित कुदरती खेती मार्गदर्शिका का नया संस्करण भी रोहतक में जारी किया जाएगा। इससे पहले 2010 में छपा इसका पहला संस्करण देश के हिंदी भाषी प्रदेशों में दूर दूर तक गया है। जिसका लाभ किसानों ने उठाया है। प्रो राजेंद्र चौधरी ने बताया कि इस पुस्तिका को हरियाणा के लगभग 30 ऐसे अनुभवी किसानों के मार्गदर्शन में तैयार किया है जो बिना किसी बाह्य उत्पाद के सफलतापूर्वक जैविक व कुदरती खेती कर रहे हैं।

इस पुस्तिका में सुझाए सभी उपाय हरियाणा में सफलतापूर्वक लागू किये जा चुके हैं। आम तौर पर किसान एवं कृषि वैज्ञानिक दोनों यह मानते हैं कि जैविक खेती अच्छी तो है पर देश का पेट नहीं भर सकती। जैविक खेती जन संवाद कार्यक्रम का आयोजन इस संशय को दूर करने के लिए किया गया है। इस संवाद में सफल जैविक किसानों के अनुभव सत्र के बाद एक सत्र समस्या समाधान का रहा। इस संवाद में कोई मुख्य अतिथि या अध्यक्ष नहीं है, बल्कि किसान ही बारी बारी से अपने अनुभव साझा कर रहे है।


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