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राष्ट्रीय मशरूम दिवस: गुणों का खजाना है मशरूम, मगर दूसरे देशों की तुलना में भारत में कम खपत

National Mushroom Day एक कार्यक्रम में बताया गया कि अच्छे पोषक तत्व व औषधीय गुणों की वजह से इसके घर-घर उपयोग की आवश्यकता है। अमेरिका व फ्रांस आदि देशों में प्रति व्यक्ति मशरूम की खपत सलाना 4 किलो है जबकि भारत में यह महज 40 ग्राम है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 03:09 PM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 03:09 PM (IST)
राष्ट्रीय मशरूम दिवस: गुणों का खजाना है मशरूम, मगर दूसरे देशों की तुलना में भारत में कम खपत
National Mushroom Day पर बताया गया कि मशरूम कई असाध्‍य रोंगों को ठीक करती है

हिसार, जेएनएन। मशरूम खाने का शौकीन भले हर कोई न हो। मगर जो लोग खाते हैं उनको इससे कई प्रकार के फायदे होते हैं। मशरूम में ऐसे कई गुण होते हैं जो शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने से लेकर कई चीजाें की पूर्ति करते हैं। इसी कड़ी में राष्ट्रीय मशरूम दिवस पर मंगलवार को राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समर सिंह बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए। कार्यक्रम का आयोजन प्रगतिशील किसान सरदार हरपाल सिंह बाजवा के गांव भौर सैंदया (कुरूक्षेत्र) में बाजवा मशरूम फार्म की रजत जयंती के अवसर पर किया गया। इसमें कुलपति ने बताया कि मशरूम में पाए जाने वाले विशिष्ट औषधीय गुणों एवं स्वास्थ्य के प्रति लाभकारी होने के कारण ही यह इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करता है।

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अच्छे पोषक तत्व व औषधीय गुणों की वजह से इसके घर-घर उपयोग की आवश्यकता है। अमेरिका व फ्रांस आदि देशों में प्रति व्यक्ति मशरूम की खपत सलाना 4 किलो है जबकि भारत में यह महज 40 ग्राम है। कुलपति ने इस दौरान भारत में मशरूम की खेती की उन्नत तकनीक पुस्तक का विमोचन किया। कृषि विज्ञान केन्द्र, कुरूक्षेत्र द्वारा आयोजित प्रशिक्षण के समापन पर उन्होंने प्रतिभागियो को प्रमाणपत्र भी वितरित किए।

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मशरूम का बाजारीकरण आवश्यक

भारत विविध प्रकार के कृषि जलवायु परिस्थितियों से युक्त कृषि प्रधान देश है। मशरूम के विविधीकरण पर बल देते हुए प्रो सिंह ने कहा कि एक सफल मशरूम उत्पादक को मशरूम के बाजारीकरण का ज्ञान होना अति आवश्यक है, जिससे वह अधिक लाभ प्राप्त कर सके। वर्षभर में तापमान के अनुसार विभिन्न प्रकार के मशरूमों को लगाया जा सकता है। विश्वविद्यालय ने क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केन्द्र की स्थापना मुरथल जिला सोनीपत में की है। जल्द ही इसे देश के अग्रणी केन्द्रों के रूप में विकसित किए जाने पर जोर दिया जाएगा।

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मशरूम के साथ दूसरे प्रोडक्ट का कर रहे निर्यात

हरपाल सिंह बाजवा ने बताया कि वे मशरूम की खेती ही नहीं बल्कि टमाटर की पूयरी, सरसों का साग, मशरूम से बने व्यंजन आचार आदि का प्रसंस्करण कर डिब्बी बंदी करके देश व विदेशों में विशेषकर कनाडा में अपने उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं। इसके अलावा बेरोजगार नवयुवकों को अपने फार्म पर प्रशिक्षण देते हुए रोजगार भी मुहैया करवा रहे हैं।

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ये भी रहे मौजूद

कार्यक्रम में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालयए हिसार के कुलसचिव डा. बीआर कंबोज, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. अजय सिंह, चीफ कंजरवेटी आफ फारेस्ट, चण्डीगढ से डा. जगदीश चन्द्र शर्मा, बागवानी महाविद्यालय के डीन  डा. राजेश भल्ला, सह-निदेशक (किसान परामर्श सेवा) डा. सुनील ढांडा, प्रधान वैज्ञानिक सेवानिवृत्त डा. एसपी गोयल,  व कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ संयोजक डा. प्रद्युमन भटनागर, डा. बलवान सिंह, डा. राजवीर गर्ग, डॉ. रमेश वर्मा, डा. महासिंह सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।


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