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राज्‍यसभा सदस्‍य जांगड़ा बोले, आंदोलन से रोजाना करोड़ों का नुकसान, व्यापार की भी सोचें किसान

जांगड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसानों की भलाई के लिए कृत्संकल्प है और 2022 तक उनकी आमदनी दुगुनी करने का लक्ष्य है। उसी संदर्भ में ये कदम उठाए गए हैं। सरकार चाहती है कि किसान परंपरागत खेती की बजाय प्रगतिशील खेती की तरफ जाए।

By Pankaj KumarEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2021 04:43 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2021 04:43 PM (IST)
राज्‍यसभा सदस्‍य जांगड़ा बोले, आंदोलन से रोजाना करोड़ों का नुकसान, व्यापार की भी सोचें किसान
बहादुरगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते राज्‍यसभा सदस्‍य रामचंद्र जांगड़ा व अन्‍य।

बहादुरगढ़, जेएनएन। भाजपा के राज्यसभा सदस्य रामचंद्र जांगड़ा ने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर किसान तो समझना चाहते हैं, मगर आंदोलन की भीड़ के बीच कुछ तत्व ऐसे घुसे हैं, जो उन्हें समझने देना नहीं चाहते। जो भी प्रगतिशील किसान हैं, उन्हें पता है कि ये कानून कृषि और किसानों के हित में हैं।

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 जांगड़ा शनिवार को बहादुरगढ़ में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। वे दिल्ली में एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे। वापसी में बहादुरगढ़ रुके थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की भलाई के लिए कृत्संकल्प है और 2022 तक उनकी आमदनी दुगुनी करने का लक्ष्य है। उसी संदर्भ में ये कदम उठाए गए हैं। सरकार चाहती है कि किसान परंपरागत खेती की बजाय प्रगतिशील खेती की तरफ जाए और मात्रा की बजाय गुणवत्ता की तरफ ध्यान दें। आज विपक्ष सोच रहा है कि भोला किसान उसकी गिरफ्त में है। किसानों की आड़ लेकर विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन आखिर में स्वामी विवेकानंद की बात साबित होगी कि पहले सत्य का मजाक उड़ाया जाता है, फिर उसका विरोध होता है और आखिर में उसको स्वीकार कर लिया जाता है।

सांसद जांगड़ा ने कहा कि जो कृषि कानून बने हैं, जब तक उनका प्रभाव सामने नहीं आता, तब तक उनको किसान विरोधी मान लेना व्यर्थ है। लोकतंत्र में किसी नीति और फैसले का विरोध तो होता है, लेकिन इस तरह से देश की राजधानी के रास्ते रोक देना सही नहीं है। इससे रोजाना हजारों करोड़ का नुकसान हो रहा है। किसानों को व्यापारियों और कर्मचारियों के बारे में भी सोचना चाहिए। सभी की एक दूसरे से जरूरत जुड़ी हुई हैं। व्यापक स्तर पर व्यापार ठप है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने कभी भी किसी वर्ग के लिए दूसरे वर्ग का अहित नहीं किया। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हड्डा ने 25 हजार एकड़ जमीन कारपोरेट को दी थी। उन्होंने उम्मीद जताई की 4 जनवरी को सरकार व किसानों के बीच बातचीत सकारात्मक होगी।


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