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12 दिन योग और आयुर्वेद से हिसार की पर्वतारोही शिवांगी पाठक ने जीती काेरोना से जंग

शिवांगी पाठक ने करीब 12 दिन में योग और आयुर्वेद के बल पर कोरोना से जीत हासिल की है। मिशन माउंट ल्होत्से के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ने पर जब कोरोना जांच करवाई तो वे पॉजिटिव मिली। शिवांगी की मां के अनुसार उसका ऑक्सीजन लेवल काफी कम पहुंच गया था

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 08:51 AM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 08:51 AM (IST)
12 दिन योग और आयुर्वेद से हिसार की पर्वतारोही शिवांगी पाठक ने जीती काेरोना से जंग
पर्वतारोही शिवांगी पाठक ने माउंट ल्होत्से मिशन को पूरा करने के लिए शुरु की चढ़ाई

हिसार, जेएनएन। 16 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर कीर्तिमान स्थापित करने वाली देश की प्रसिद्ध पर्वतारोही में शामिल शिवांगी पाठक ने करीब 12 दिन में योग और आयुर्वेद के बल पर कोरोना से जीत हासिल की है। मिशन माउंट ल्होत्से के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ने पर जब उनकी कोरोना जांच करवाई तो वे पॉजिटिव पाई गई थी।

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शिवांगी की मां के अनुसार उसका ऑक्सीजन लेवल काफी कम पहुंच गया था और फेफड़ों में पानी भर चुका था। उसकी हालत गंभीर हो रही थी। उसे रेस्क्यू कर ईलाज के लिए लाया गया। ईलाज के दौरान आयुर्वेद और योग के बल पर उसने अपने आप को दुरुस्त किया और अब फिर से अपने मिशन को पूरा करने के लिए चढ़ाई शुरु कर दी है।

कोरोना से जंग जीतने की कहानी शिवांगी की मां आरती पाठक की जुबानी

16 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर विश्व रिकॉर्ड कायम कर शिवांगी पाठक ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सम्मान हासिल किया था। हिसार के राजदरबार स्पेस (ग्लोबल स्पेश) निवासी शिवांगी पाठक की मां आरती पाठक ने बताया 9 अप्रैल 2021 को पर्वतारोही शिवांगी पाठक को हम नेपाल छोड़कर आए। उसी दिन उसने अपनी माउंट ल्होत्से की चढ़ाई शुरू कर दी थी। 15 अप्रैल को को वह लोबुचे पहुंच गई जोकि बेस कैंप से एक कैंप नीचे है। एक रात वहां रुक कर अगले दिन बेस कैंप से नीचे गोरख शेप पहुंची। जहां उसे शिवांगी ने फोन कर बताया कि उसकी तबीयत खराब हो रही है।

बुखार नहीं उतर रहा। मुझे खाना भी नहीं पच रहा है। उसे मैंने दवाइयां लेने के लिए बोला दवाइयां लेकर वह जैसे तैसे बेस कैंप जोकि 5364 मीटर की हाइट पर पहुंच गई। अगले दिन एक रात वहां रुकी किन्तु सुबह शिवांगी की हालत काफी खराब होनी शुरू हो गई। तो एजेंसी वालों ने हमें बताया कि शिवांगी का रेस्क्यू करवाना पड़ेगा। 19 अप्रैल को सुबह 11 बजे शिवांगी का रेस्क्यू कर उसे काठमांडू हॉस्पिटल लाया गया, क्योंकि उसका ऑक्सीजन लेवल 18 पर आ गया था। जहां पर उसकी जांच पड़ताल होने पर पता लगा की उसके फेफड़ों में पानी भर चुका है उसे कोरोना संक्रमण की भी पुष्टि 19 अप्रैल को हुई।

20 अप्रैल को हम गोरखधाम ट्रेन से शिवांगी के पास शाम को 7 बजे काठमांडू पहुंच गए वहां उसकी हालत बहुत खराब थी। वह शारीरिक रूप से तो बहुत कमजोर थी, लेकिन मानसिक रूप से वह शक्तिशाली है। उसने अपनी सकारात्मक सोच और हौंसले को बरकरार रखा। वह घबराई नहीं और आयुर्वेद चिकित्सा से ईलाज शुरु किया। एक होटल में ही क्वारंटाइन हुई। शिवांगी शाकाहारी है। मैं भी वहां पहुंची और उसकी देखरेख शुरु की। हमने देसी काढ़ा व

आयुर्वेद इलाज शुरु कर दिया। 3 दिन में तो शिवांगी हालत खराब थी लेकिन चौथे दिन उसमें सुधार नजर आया। खाना पचना शुरु हुआ। खांसी भी कम हो गई। शिवांगी ने योग भी शुरु कर दिया। 12 दिन में उसकी हालत में काफी सुधार हो गया। 2 मई 2021 को हमने उसके टेस्ट करवाए तो वह ठीक थी। ईलाज के दौरान नेपाल के नागरिकों ने भी हमारा पूरा सहयोग किया। ठीक होने के बाद शिवांगी ने फिर से अपने मिशन को पाने के लिए चढ़ाई शुरु कर दी है। अब वह मिशन पूरा करने के लिए कैंप लिए निकलेगी।

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ये है मिशन

आरती पाठक ने कहा शिवांगी का टारगेट है कि वह 25 मई तक माउंट ल्होत्से जो कि विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी है जिसकी ऊंचाई 8516 मीटर है उस पर तिरंगा लहरा है। हमें उम्मीद है कि 25 मई तक वह अपना मिशन पूरा कर लेगी।


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