मां ने बेटी के जन्मदिन पर मेहमानों को दिया अजब का तोहफा, आैर शुरू हुई नई मुहिम
नीलम दलाल गांव में ही बतौर आशा वर्कर कार्यरत हैं। एक वर्ष में करीब 2500 पौधें लगा चुकी हैं। ड्यूटी पर होने के बावजूद शेड्यूल के मुताबिक पौधों की देखभाल भी करती हैं।
झज्जर [तपस्वी शर्मा] प्रत्येक व्यक्ति अपने जन्म दिवस पर पार्टी के नाम पर रुपये खर्च करता है और कुछ ही दिनों में इसे भूल जाते हैं। यदि हम अपने और परिजनों के जन्मदिन पर पौधरोपण करें तो यह दीर्घकाल तक याद रहेगा और समाज को इसका लाभ भी होगा। बस इसी सोच के साथ वर्ष 2018 में बेटी हिमांशी के जन्मदिन पर नीलम दलाल ने अतिथियों को तुलसी के पौधे भेंट किए और गांव को हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया। शुरुआत घर से की और बाद में गांव में पार्कों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पौधारोपण किया। पति और ससुराल के अन्य लोगों का सहयोग मिला तो इसे मिशन बना लिया।
गांव रिवाड़ी खेड़ा निवासी नीलम दलाल गांव में ही बतौर आशा वर्कर कार्यरत हैं। एक वर्ष में करीब 25 सौ पौधें लगा चुकी हैं। ड्यूटी पर होने के बावजूद शेड्यूल के मुताबिक पौधों की देखभाल भी करती हैं। बकौल नीलम पौधों की सेवा करने में अंदरूनी खुशी मिलती है। क्योंकि अपने लिए तो सभी लोग कार्य करते हैं, लेकिन समाज और देश के लिए भी कार्य करना सभी नागरिकों का कर्तव्य बनता है।
गांव में पांच हजार पौधे लगाने का लक्ष्य
प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है। हमें भी इसे भविष्य की पीढिय़ों के लिए बचाए रखना है। यह तभी संभव है जब हम आज से ही इस काम में जुट जाएं। ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव भी सामने आने लगे हैं। अगर जल्द ही हम पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक नहीं होते हैं तो आने वाले समय में बड़ा संकट पैदा हो सकता है। इसलिए पौधारोपण की शुरुआत अपने घर और गांव से की है। बकौल नीलम दलाल पहले चरण में अपने गांव में पांच हजार पौधे रोपित करने का लक्ष्य रखा है। करीब डेढ़ वर्ष में ढाई हजार पौधे रोपित किए हैं। अपने गांव को हरा-भरा करने के बाद आसपास क्षेत्र में भी पौधरोपण अभियान चलाने की योजना है। इसके लिए प्लानिंग की जा रही है।
सप्ताह में एक बार पौधों की देखभाल करने का बना रखा है शेड्यूल
अक्सर लोग पौधरोपण करने के बाद भूल जाते हैं, लेकिन पौधों की देखभाल भी बच्चों की तरह करनी पड़ती है। बकौल नीलम सप्ताह या फिर दस दिन में जैसे ही छुट्टी का शेडूयल बनता है। उसी अनुसार लगाए गए पौधों की देखरेख की जाती है। छंटाई के अलावा पौधों में पानी देने का कार्य भी किया जाता है। उनके पति भी इस कार्य में उनका पूरा सहयोग कर रहे हैं।