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हरियाणवी पोशाक दामण कुर्ती व गोटेदार चुन्नी के पहनावे को बढ़ावा देने में जुटी मोनिका, विदेशों में भी मांग

हरियाणवी परिधान की धमक आधुनिक काल में देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए बहादुरगढ़ की मोनिका मान जी-जान से जुटी हुई हैं। मोनिका मान न केवल दामण-कुर्ती सिलकर विदेशों तक हरियाणवीं संस्कृति को बढ़ावा दे रही हैं बल्कि आसपास की ग्रामीण महिलाओं की भी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहीं हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 05:14 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 09:36 AM (IST)
हरियाणवी पोशाक दामण कुर्ती व गोटेदार चुन्नी के पहनावे को बढ़ावा देने में जुटी मोनिका, विदेशों में भी मांग
कोरोना काल में काम आया हुनर, दामण नहीं मिला तो खुद सिला, अब महिलाओं को सिलाई सिखा रही मोनिका

कृष्ण वशिष्ठ, बहादुरगढ़: हरियाणा की महिलाओं का 52 गज का दामण व कुर्ती पहनना और उस पर गोटेदार चुनरी ओढ़णा हरियाणवी संस्कृति की खास पहचान मानी जाती है। यह हरियाणा का पारंपरिक पहनावा है। इस परिधान की धमक आज के इस आधुनिक काल में देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए बहादुरगढ़ की मोनिका मान जी-जान से जुटी हुई हैं। मोनिका मान न केवल दामण-कुर्ती सिलकर विदेशों तक हरियाणवीं संस्कृति को बढ़ावा दे रही हैं बल्कि आसपास की ग्रामीण महिलाओं की भी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहीं हैं। बहादुरगढ़ के साथ लगते नया गांव, नूना माजरा, डाबौदा, दुल्हेड़ा आदि गांवों की सोनू, मीरा, शीला आदि कई महिलाएं उनसे दामण सिलना सीखकर अपना रोजगार चला रही हैं।

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मोनिका इन महिलाओं से दामण व कुर्ती सिलवाती हैं और गोटेदार चुनरी बनवाती हैं, फिर इन्हें आनलाइन शापिंग की मदद से देश-विदेश तक पहुंचाने का काम कर रही है। मोनिका का एक ही मकसद है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं घर में ही रहकर खाली समय में सिलाई-कढ़ाई की मदद से आर्थिक रूप से मजबूत बनें। इसके लिए वे हर गांव में महिलाओं का समूह तैयार करना चाह रही हैं।

इसके लिए जल्द वे हर गांव में सरपंचों से मदद लेकर ग्रामीण महिलाओं का समूह तैयार करेंगी। मोनिका ने बताया कि हरियाणा संस्कृति से उसे बचपन से प्यार है। शादी से पहले भी मैं अक्सर इस तरह के काम करती रहती थी। बहादुरगढ़ के झज्जर रोड पर टाटा वेल्यू होम में रहने वाली मोनिका के पति दिल्ली पुलिस में निरीक्षक हैं।

दिल्ली के झाड़ौदा सरकारी स्कूल में स्पेशल टीचर मोनिका बताती हैं कि एक साल पहले उसके भतीजे का दशोटन था। इस कार्यक्रम में मैं दामण पहनकर जाना चाहती थी और 52 गज का दामण पहर मटक कै चालूंगी गीत पर नाचणा था। मगर मेरी दादी-नानी, ताई आदि में से किसी के भी पास दामण नहीं मिला। कोरोना के लाकडाउन में दर्जी की दुकान भी बंद थीं। ऐसे में खुद का हुनर काम आया।

मैंने बाजार से 25 मीटर कपड़ा मंगवाया और दो दिन की मेहनत करके खुद सिल लिया और कार्यक्रम में खूब हरियाणवीं गीतों पर धमाल किया। मैंने अपने इस दामण का फोटो फेसबुक पर डाला तो उसकी एक शिक्षिका दोस्त किरण ने दामण सिलकर देने की मांग की और इसे आगे बढ़ाने के लिए भी प्रेरित किया।

इस तरह दामण की मांग देश-विदेश से आती गई। मेरी दोस्तों में दामण पहनने का शौक बढ़ा तो मैंने धाकड़ हरियाणा के नाम से अपना चैनल बनाया और उस पर दामण की वीडियो पोस्ट कीं। इससे देश-विदेश में और भी मांग बढ़ गई। अमेरिका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, कनाडा आदि देशों में आनलाइन शापिंग की मदद से सैंकड़ों दामण अब तक भिजवा चुकी हैं। मेरे पास समय कम था। इसलिए मैंने अपनी मेड की मदद से आसपास के गांवों की महिलाओं की मदद ली। उन्हें दामण सिलना सिखाया।

अब वे भी मेरे इस काम में खूब मदद कर रही हैं और अपना गुजारा कर रही हैं। नया गांव की सोनू, गांव नूना माजरा की शीला व मीरा ने बताया कि मोनिका की मदद से हम घर में काम पाकर आर्थिक रूप से मजबूत बन रही हैं। शुरू में तो लोगों ने मेरा मजाक भी उड़ाया लेकिन अब वहीं लोग मेरे काम को सलाम कर रहे हैं।


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