जेलों में बंद लोगों की रिहाई के लिए पंजाब-हरियाणा में इकट्ठे किए जा रहे पैसे, किसान नेता बोले यह गलत
पंजाब व हरियाणा में कुछ नौजवानों द्वारा पैसा एकत्रित करना बाॅर्डर पर डटे किसान संगठनों को नागवार गुजर रहा है। तमाम केसों में पैरवी के लिए गठित की गई लीगल कमेटी के आह्वान के बाद रविवार को टीकरी बॉर्डर के मंच से भी किसान नेताओं ने कहा गलत है
बहादुरगढ़, जेएनएन। गणतंत्र दिवस पर आंदोलनकारियों की ट्रैक्टर परेड के समय दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान और उसके बाद गिरफ्तार किए गए लोगों की रिहाई को लेकर पंजाब व हरियाणा में कुछ नौजवानों द्वारा पैसा एकत्रित करना बाॅर्डर पर डटे किसान संगठनों को नागवार गुजर रहा है। तमाम केसों में पैरवी के लिए गठित की गई लीगल कमेटी के आह्वान के बाद रविवार को टीकरी बॉर्डर के मंच से भी किसान नेताओं ने कहा कि कुछ नौजवान और किसान नेता इन केसों के सिलसिले में चंदे के तौर पर पैसा एकत्रित कर रहे हैं। यह गलत है। ऐसा कोई निर्णय संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से नहीं लिया गया है।
अगर कोई चंदा मांगने आता है तो मना कर दें। हरियाणा की भारतीय किसान यूनियन घासीराम के अध्यक्ष जोगेंद्र नैन ने कहा कि कुछ किसान नेता जेल में बंद लोगों को रिहा करवाने के लिए चंदा मांग रहे हैं, जबकि यह कानूनी लड़ाई संयुक्त मोर्चा की ओर से लड़ी जाएगी। माेर्चे की अपनी वकीलों की टीम है। किसी भी परिवार को इस बारे में कोई भी चंदा नहीं देना है। वहीं पंजाब की किसान यूनियन के नेता बलदेव सिंह ने कहा कि कोई भी किसान परिवार ऐसे लोगों को चंदा न दे जो जेलों में बंद आंदोलनकारियों का केस लड़ने के लिए चंदा मांगने आते हैं।
एनआइआइ से भी इस बारे में अपील की गई है। इसके साथ ही किसान नेताओं ने यह भी कहा कि जब तक सरकार द्वारा मांगे नही मानी जाती तब तक आंदोलन चलता रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य एवं पंजाब के किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि आंदोलन को तेज किया जा रहा है। सरकार की ओर से कितना भी समय बिताया जाए, मगर किसान डटे रहेंगे।