झज्जर में काउंसिलिंग के बाद बेहतर महसूस कर रही रेस्क्यू कराई गई नाबालिग बेटी, आरोपित पिता फरार
तीन दफा नाबालिग बेटी के साथ गलत हरकत करने का आरोपित पिता अभी तक फरार चल रहा हैं। नाबालिग की जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा निरंतर काउंसलिंग की जा रही हैं। जिससे वह पहले से बेहतर महसूस कर रही हैं।
जागरण संवाददाता, झज्जर : मां की अनुपस्थिति में तीन दफा नाबालिग बेटी के साथ गलत हरकत करने का आरोपित पिता अभी तक फरार चल रहा हैं। नाबालिग की जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा निरंतर काउंसलिंग की जा रही हैं। जिससे वह पहले से बेहतर महसूस कर रही हैं। इधर, विभागीय सूचना के बाद उत्तर प्रदेश से मां वापिस लौट आइ्र हैं। लेकिन, अभी तक बच्ची को घर नहीं भेजा गया हैं। विभागीय स्तर पर प्रयास हो रहा है कि पहले नाबालिग की मनोस्थिति को बेहतर करने के लिए जो भी हर संभव प्रयास हो, उसे अमल में लाया जाए। जिससे वह जागरूक होने के साथ-साथ सामान्य होकर भी रहें।
बता दें कि मूल रुप से उत्तर प्रदेश में रहने वाला एक परिवार पिछले काफी समय से बहादुरगढ़ में रह रहा है। परिवार की करीब 15 वर्षीय बेटी ने अपने मकान मालिक की मदद से 26 जुलाई को चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) पर काल करते हुए बताया कि मां की अनुपस्थिति में पिता तीन दफा गलत हरकत करने का प्रयास कर चुका है। मकान मालिक की मदद से नाबालिग द्वारा की शिकायत के बाद विभाग की टीम हरकत में आई और बच्ची को रेस्कयू करने की जिम्मेदारी जिला बाल संरक्षण अधिकारी की टीम को सौंपी गई। जिला इकाई ने पुलिस की मदद से बच्ची को रेस्कयू करते हुए बहादुरगढ़ स्थित उमंग अनाथ आश्रम में भेजा गया है। इससे पहले बच्ची को सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत करते हुए काउंसलिंग भी कराई गईं। नाबालिग का पिता फैक्ट्री में काम करता है। तीन बजे के बाद वहां से वापिस लौटता है। जिसके बाद ही वह इस तरह की हरकत करता था।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी लतिका के मुताबिक कोविड महामारी के दौरान ज्यादातर बच्चों को घर की चार दीवारी में ही सीमित रहना पड़ा। बुरी मानसिकता के रिश्तेदार या खुद अभिभावक / माता-पिता द्वारा बच्चों के शोषण की घटनाएं देखने को मिलती है। इसके लिए बच्चों को भी स्वयं जागरूक होने की जरूरत है। अक्सर बच्चे डर वजह से, शर्म की वजह से शोषण की जानकारी नहीं होने की वजह से किसी को अपने साथ हुए व्यवहार के बारे में नहीं बता पाते हैं, जिससे उनके शोषण कर्ता का हौंसला बढ़ जाता है। साथ ही कई अपने साथ हुए व्यवहार के बारे में जब बच्चें बताना चाहते हैं तो उन्हें चुप करवा दिया जाता है।
अच्छे बुरे स्पर्श की पहचान करें मासूम
डीसीपीओ लतिका के मुताबिक बच्चों को सबसे पहले अपने शरीर के अंगों की जानकारी होनी चाहिए कि किसी अंग का क्या काम है तथा कोई उसको कब, क्यों और कौन उन्हें छूं सकता है। जैसे बीमार पड़ने पर डाक्टर द्वारा शरीर की पड़ताल। वह भी किसी नजदीकी की उपस्थिति में। इसी प्रकार, बच्चों को अच्छे स्पर्श चाहिए बुरे स्पर्श का भी ज्ञान होना चाहिए।
माता-पिता और अध्यापकों को सभी बच्चों को इसका ज्ञान करवाना चाहिए ताकि समय रहते बच्चा अपने साथ हुए बुरे स्पर्श को पहचान कर उसके बारे में शिकायत कर सके। प्रत्यके बच्चे के साथ माता पिता को अपनी तथा उनकी दिनचर्या सांझा करनी चाहिए। ताकि बच्चें बेहिचक अपनी राय बातें, परेशानी बता सके। बच्चे को बताना चाहिए कि उनका शरीर केवल उनका है इसको बुरी तरह से छूने का अधिकार किसी को नहीं है। बच्चों को ना कहना तथा विरोध करना भी आना चाहिए।
हेमा गुप्ता
प्रतिक्रिया : फाउंडेशन आफ फाइनेंशियल इनक्लूजन फार वीमेन संस्थापक हेमा गुप्ता किसी भी मासूम का मनोबल बनाए रखना अति आवश्यक हैं। किन्हीं परिस्थितियों में अगर उनके साथ विपरित होता है तो उनका मनोबल टूट जाता है। समझना होगा कि एक टूटे हुए मनोबेल का बच्चा कभी भी आत्मविश्वासी नहीं बन पाता। शोषण होने की स्थिति में मनोदशा के सुधार के लिए हर संभव प्रयास होना चाहिए। निरंतर बच्चों के साथ इस तरह का व्यवहार होना चाहिए। जिससे वे मजबूत बनें।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी
- जिला बाल संरक्षण अधिकारी, झज्जर लतिका ने कहा कि नाबालिग की निरंतर काउंसलिंग हो रही हैं। पहले से स्थिति में सुधार हैं। मां अपने घर से वापिस लौट आई हैं। हर बच्चे को अपने घर का पता, घर का फोन नंबर, जिले का नाम, राज्य का नाम, जरूर याद करवाना चाहिए। साथ ही चाइल्ड हेल्प लाईन का नंबर भी बताना चाहिए।