अब गांव में शराब को टक्कर देगी दूध की चक्की, गली-गली बिकेंगे दूध के प्रोडेक्ट, मिलेगा रोजगार
लुवास के पशुपालन विभाग ने युवा पशुपालकों को अंत्रप्रन्योर बनाने की तैयार की योजना। दो प्रकार की सब्सिडी और 11 दिन का क्रैश कोर्स कराकर तैयार किए जाएंगे आंत्रप्रन्योर
हिसार [वैभव शर्मा] गांव में शराब के चलन को रोकने के लिए प्रदेश के पशुपालन विभाग ने नया प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसमें शराब के खुर्दों को टक्कर देने के लिए गांव में मिल्क प्रोसेङ्क्षसग पार्लर शुरू किए जाएंगे। इन मिल्क पार्लरों को तैयार करने का काम भी गांव के ही युवा पशुपालकों का होगा। इस काम में मदद सरकारी मशीनरी करेगी। पशुपालन विभाग दो प्रकार की सब्सिडी देकर गांव से ही युवाओं को दूध के व्यवसाय में आगे बढ़ाएगा। पशुपालन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुनील गुलाटी ने दैनिक जागरण से बातचीत में इस योजना की रूपरेखा को साझा किया।
डा. गुलाटी ने बताया कि प्रधानमंत्री के किसानों की आय दोगुनी करने के अभियान को देखते हुए पशुपालन विभाग ने मिल्क प्रोसेङ्क्षसग पार्लर के लिए बड़े गांवों को चुना है। हमने देखा है कि गांव में एक पशुपालक औसतन 60 किलो दूध बेचता है, जिसे दूधिया 160 लीटर बनाकर बाजारों में बेच देता है। ऐसे में असली लाभ पशुपालक को मिलना चाहिए, वह उससे वंचित रह जाता है। इसी लिए उनका उद्देश्य है कि बड़े गांवों में हर गली में प्रोसेङ्क्षसग यूनिट लगाई जाए।
इसी प्रोजेक्ट के तहत उन्होंने लुवास को छह मिल्क प्रोसेङ्क्षसग डेमोंस्ट्रेशन कम एग्जिबिशन वैन (दूध की चक्की) बनाने के बारे में कहा। शनिवार को लुवास में केंद्रीय पशुपालन राज्य मंत्री संजीव बाल्याण की धर्मपत्नी सुनीता बाल्याण व पशुपालन विभाग के एसीएस डा. गुलाटी ने दूध की चक्की का हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ भी किया। इस दौरान लुवास के कुलपति डा. गुरदयाल ङ्क्षसह व डीन डा. दिवाकर शर्मा सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
पशुपालकों पर निर्भर पर है कि उत्पाद लेना चाहते हैं या पैसे
एसीएस डा. गुलाटी ने बताया कि इस परियोजना को उन्होंने कुछ ऐसा डिजाइन किया है कि अगर पशुपालक इन मिल्क पार्लर को दूध देते हैं तो उन्हें इस दूध से बने प्रोडक्ट भी मिल सकते हैं और अगर वह प्रोडक्ट नहीं लेना चाहते हैं, भुगतान चाहते हैं तो बाजार के रेट के अनुसार भुगतान किया जाएगा। इन मिल्क पार्लरों पर घी, फ्लेवर्ड मिल्क, पनीर, खोया, आइसक्रीम आदि खाद्य पदार्थ मिल सकते हैं। गांव में किसी भी शादी हो या अन्य कार्यक्रम, यहां से लोग उत्पाद खरीदें। इससे गांव में शराब की जगह युवा दूध की तरफ आकर्षित होंगे।
संगठित क्षेत्र में 22 फीसद दूध की ही होती है खपत
प्रदेश में अभी तक संगठित क्षेत्रों में 22 फीसद ही दूध की खपत हो पाती है, बाकि 78 फीसद दूध शहरों में दूधिये लेकर चले जाते हैं। विभाग का उद्देश्य है कि दूध की खपत गांव में हो, इससे तैयार प्रोडक्ट भी शहरों में बेचे जाएं। गांव में 60 फीसद लोग दूध पैदा करते हैं, बाकी के 40 प्रतिशत लोगों के लिए यह एक रोजगार बन सकता है। इसके लिए गांव के युवाओं को लुवास की दूध की चक्की वैन के माध्यम से प्रोडक्ट बनाना सिखाया जाएगा।
मिल्क पार्लर यूनिट के लिए यह मिलेगी सब्सिडी
मिल्क प्रोसेङ्क्षसग यूनिट लगाने के लिए पशुपालन विभाग प्रोसेङ्क्षसग व अन्य मशीनों की खरीद पर 25 फीसद की छूट देगा। इसके साथ ही एक अन्य योजना के तहत पांच वर्ष का ब्याज भी माफ किया जा सकता है।