किसान आंदोलन की यादें ताजा, सिरसा में रातभर धरनास्थल पर ही डटे रहे आंदोलनकारी, ट्रालियों में गुजारी रात
सिरसा में लघु सचिवालय के सामने फिर किसान आंदोलन की तर्ज पर किसानों ने पक्का मोर्चा लगा लिया है। यहां भी किसानों ने रात ट्रालियों में गुजारी और यहां बने लंगर में खाना खाया। फसलों ने हुए नुकसान की भरपाई के मुआवजे की मांग के लिए यह मोर्चा लगाया है।
सिरसा, जागरण संवाददाता। सिरसा में हरियाणा किसान मंच के बैनर तले किसानों द्वारा लघु सचिवालय के समक्ष लगाए गए पक्के मोर्चे पर दूसरे दिन सुबह से विभिन्न गांवों के किसान आने शुरू हो गए हैं। शुक्रवार रात को किसानों ने धरनास्थल पर ही रात बिताई। ठंड से बचने के लिए अलाव तापते नजर आए। बाद में यहीं पर लंगर खाया और ट्रालियों में सो गए। लघु सचिवालय में किसानों की 10 ट्रालियां खड़ी है, जिनमें बिस्तर रखे हुए है। लघु सचिवालय में फिर से कृषि कानूनों को लेकर किसानों के द्वारा चलाए गए आंदोलन का सा नजारा दिखाई दे रहा है। इस आंदोलन में शामिल किसानों ने भी दिल्ली सीमाओं पर चले आंदोलन की तर्ज कार्य किया।
मांगों को लेकर किसानों ने लघु सचिवालय में लगाया पक्का मोर्चा, दूसरे दिन भी जुटने शुरू हुए किसान
हरियाणा किसान मंच के प्रदेशाध्यक्ष किसान नेता प्रहलाद सिंह भारूखेड़ा ने बताया कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक किसान लघु सचिवालय के समीप पक्का मोर्चा लगाएंगे। किसान दिन रात यहीं धरना देंगे। कहना है कि यह आंदोलन मांगे पूरी नहीं होती तब तक चलेगा। प्रहलाद सिंह भारूखेड़ा ने बताया कि किसान टेंट, गद्दे, रजाइयां, राशन इत्यादि लेकर आएं हैं। इस मौके पर लक्खा सिंह, सुखविंद्र सिंह, गुरचरण साहुवाला, बलवंत सिंह, सतपाल, आजाद सिंह, सुखदीप, सत्यनारायण, गुरनाम सिंह प्रधान, नैब सिंह मलड़ी, गगनदीप सिंह, गुरमेल सिंह, बलजिंदर सिंह अलीकां मौजूद थे।
ये हैं किसानों की प्रमुख मांगें।
- गुलाबी सुंडी से खराब हुई नरमा की फसल का मुआवजा दिया जाए व बकाया बीमा क्लेम की राशि भी दी जाए।
- नहरें 15 दिन चलाई जाए।
- किसानों के ट्यूबवेल कनेक्शन जारी किए जाए।
- किसानों को पर्याप्त यूरिया खाद उपलब्ध करवाई जाए।
- पक्के खाल बनाने पर फव्वारा सिस्टम की शर्ताें को हटाया जाए।
- जिन लोगों की बुढ़ापा पेंशन बंद की गई है, उसे पुन: बहाल किया जाए।
- आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर, पीटीआई अध्यापकों की मांगों को पूरा किया जाए।
- बंद पड़े शैक्षणिक संस्थानों को खोला जाए।