यहां सरकार के पास रुपयों की कमी, इसलिए आई केवल लड़कियों की हॉकी टीम
64वें नेशनल स्कूल गेम्स में देशभर के खिलाड़ी पहुंचे। मणिपुर टीम कोच ने कहा कहा गया केवल दो टीमें जा सकती हैं, तो लड़कियों की अंडर 14 बनाई और लड़कों की टीम खेलने के लिए नहीं आ सकी
हिसार [संदीप बिश्नोई] हर किसी का नसीब हरियाणा के खिलाडिय़ों जैसा नहीं है। मणिपुर जैसे पहाड़ी राज्यों का हाल क्या है, यह 64वें नेशनल स्कूल गेम्स में हिसार पहुंची उनकी हॉकी टीम स्वयं बयां कर रही है। हरियाणा और आंध्रप्रदेश का मैच देखने के लिए मणिपुर की टीम एस्ट्रोटर्फ पर पहुंची। इसका कारण था कि उनमें से जो जीतेगा, उसी के साथ मणिपुर की टीम अगला मैच खेलेगी। यह टीम देखना चाहती थी कि जीतने वाली टीम की कमजोरी क्या है और स्ट्रेंथ क्या। दैनिक जागरण संवाददाता ने उनसे बातचीत की तो सामने आया कि उनकी सरकार उन्हें खेल के लिए उतने पैसे नहीं दे पा रही है, जितने की उन्हें जरूरत है। यही कारण है कि उनकी हैंडबॉल की टीम पैसे की कमी के कारण यहां नहीं पहुंच पाई। इसलिए वे चाहते हैं कि वे हर हाल में यहां से जीतकर जाएं, ताकि उनकी सरकार उनकी अधिक सहायता करे। जो खिलाड़ी यहां नहीं आ पाए उनकी उम्मीदों का बोझ भी अब उनके ऊपर है।
कोई दो टीमें ले जाने का था विकल्प
कोच आरके रंदोनी और मैनेजर गृहिणी बताती हैं कि उनकी मणिपुर सरकार हरियाणा और अन्य राज्यों की तरह उनकी मदद नहीं कर पा रही है। उन्हें केवल दो ही टीमें ले जाने का ऑप्शन दिया गया था। इसलिए उन्होंने लड़कियों की अंडर 14 और लड़कों की अंडर 17 की टीम चुनी। अंडर 14 की लड़कों की टीम भी आ सकती थी, लेकिन शायद पैसों की कमी के कारण नहीं आ पाए। उन्होंने कहा कि हरियाणा में खिलाडिय़ों के लिए न पैसों की कमी है और न ही सुविधाओं की। मगर पहाड़ी एरिया में मीलों दूर से पैदल चलकर बच्चे मैदान में पहुंचते हैं। हमारे खिलाड़ी देश का नेतृत्व कर सकते हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण हुनर पथरीले पहाड़ों में बर्बाद हो रहा है। अच्छी बात ये है कि हमारे वहां के लोग बिना संसाधनों के भी मेहनत कर रहे हैं।
प्रबंध और लोगों की तारीफ की
शनिवार को सुबह के सत्र में मणिपुर का मुकाबला राजस्थान के साथ हुआ था। इस क्वार्टर फाइनल मुकाबले में मणिपुर की टीम ने 1-0 से जीत हासिल की थी। कोच और मैनेजर ने कहा कि हम दिल से यहां के प्रबंधों और लोगों की तारीफ करना चाहते हैं। पहली बार ऐसा हुआ है कि हम किसी चीज की डिमांड करते हैं तो, कुछ ही देर में बिना किसी ना-नुकुर के हमारी मांग पूरी हो जाती है। यहां का खाना, रहना और बस की दी गई सुविधा, लोगों का व्यवहार, इतना अच्छा माहौल हम पहली बार किसी स्कूली नेशनल प्रतियोगिता में देख रहे हैं।