मकर संक्रांति आज, जरूर कर लें ये काम, मिलेगा कई गुना फल
मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य का मकर राशि में आगमन 14 को आधी रात के बाद हुआ है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार मकर संक्रांति भी 15 जनवरी है
रोहतक/हिसार, जेएनएन। Know why Makar Sankranti is on 15 January मकर संक्रांति की सही तारीख को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी थी कि मकर संक्रांति का त्योहार 14 को मनाया जाए या 15 जनवरी को। रोहतक के दुर्गा भवन मंदिर के पुजारी आचार्य मनोज मिश्र ने बताया कि ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार इस वर्ष 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार है। दरअसल, इस साल सूर्य का मकर राशि में आगमन 14 जनवरी मंगलवार की मध्य रात्रि के बाद रात 2 बजकर 7 मिनट पर हुआ है।
मध्य रात्रि के बाद संक्रांति होने की वजह से इसके पुण्य काल का विचार अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त से लेकर दोपहर तक होगा। इसी वजह से मकर संक्रांति 15 जनवरी यानि आज है। हालांकि परंपरागत रूप और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुरूप अनेक लोग 14 जनवरी को भी मकर संक्रांति मना रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले एक माह से चले आ रहे खरमास के चलते अनेक लोगों के विवाह-शादी व गृह प्रवेश आदि विभिन्न मांगलिक रुके हुए थे। लेकिन अब 15 को सूर्य देव के उत्तरायण होने से मांगलिक कार्य एक बार फिर से शुरू होंगे।
मकर राशि में होता है सूर्य का प्रवेश
आचार्य मनोज ने बताया कि ज्योतिष विद्या के अनुसार मकर संक्रांति में मकर शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि संक्रांति का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति पर्व को कहीं कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है और इस दिन गंगा स्नान कर व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्य देव की उपासना करने का विशेष महत्व है।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति : 15 जनवरी
संक्रांति काल : 07:19 बजे से
पुण्यकाल : 07:19 से 12:31 बजे तक
महापुण्य काल : 07:19 से 09: 03 बजे तक
संक्रांति स्नान : प्रात: काल, 15 जनवरी
मकर संक्रांति पर्व का महत्व
आचार्य के अनुसार दक्षिणायन को नकारात्मक और उत्तरायण को सकारात्मक का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए इस दिन जप तप दान स्नान श्राद्ध तर्पण आदि धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस दिन किए गए दान से सौ गुना बढ़कर पुन प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन बुजुर्गाें को गर्म वस्त्र आदि उपहार भेंट करने की भी परंपरा है।