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मेजर ध्यानचंद के बेटे ने कह दी बड़ी बात, ओलंपिक में 40 साल का सूखा टोक्यो में होगा खत्म

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बेटे ने रोहतक में बड़ी बात कही है। उनका मानना है कि ओलंपिक में मेडल का सूखा 40 साल बाद खत्म होगा। खिलाड़ियों के प्रदर्शन से ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। महिला टीम में पुरुषों से कहीं ज्यादा जुनून दिख रहा।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 09:24 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 09:24 PM (IST)
मेजर ध्यानचंद के बेटे ने कह दी बड़ी बात, ओलंपिक में 40 साल का सूखा टोक्यो में होगा खत्म
अशोक ध्यानचंद ने कहा कि जिला स्तर पर हॉकी के एस्ट्रोटर्फ की जरूरत है। तभी खिलाड़ी तैयार होंगे।

रोहतक [ओपी वशिष्ठ]। हॉकी में पहले से काफी सुधार दिखाई दे रहा है। पुरूषों के साथ-साथ महिला खिलाड़ियों में ओलंपिक में पदक जीतने की ललक कहीं ज्यादा दिख रही है। कोरोना महामारी में पता नहीं किस तरह की प्रैक्टिस खिलाड़ियों की हुई है। लेकिन कोरोना से पहले हुए मुकाबलों में महिला खिलाड़ियों ने दमदार प्रदर्शन किया। अगर वहीं प्रदर्शन जारी रहा तो टोक्यो ओलंपिक में पदक के लिए 40 साल का सूखा खत्म हो जाएगा।

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यह कहना है कि पूर्व अंतरराष्ट्रीय एवं ओलंपियन अर्जुन अवार्डी अशोक कुमार ध्यानचदं का। बता दें कि अशोक ध्यानंद हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के पुत्र हैं। वे मंगलवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में खेल निदेशक डा. देवेंद्र सिंह ढुल से मुलाकात करने पहुंचे थे। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम के पदक जीतने की उम्मीदों को लेकर दैनिक जागरण से विशेष बातचीत की।

सवाल : हॉकी के सिरमौर भारत 40 साल से कर रहा पदक का इंतजार। आप क्या मानते हैं?

जवाब : उनके पिता मेजर ध्यानचंद के समय भारत हॉकी का सिरमौर था। उनके बाद भी भारत ने ओलंपिक में गोल्ड जीते हैं। आखिरी बार 1980 में मास्को में भारत ने स्पेन को हराकर गोल्ड जीता था। इसके बाद से देश ओलंपिक में पदक नहीं जीत पाया, यह हमारे लिए चिंता का विषय है। मुझे तो इसके पीछे एक ही कारण लग रहा है कि 1980 के बाद फील्ड में बदलाव आया है। हॉकी एस्ट्रोटर्फ पर खेली जाने लगी, जिसकी सुविधा भारत में देर से मिली। लेकिन अब एस्ट्रोटर्फ को लेकर कई राज्यों में गंभीरता दिखाई है। जिसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं। एस्ट्रोटर्फ की सुविधा राज्यों में जिला स्तर पर होनी चाहिए ताकि जमीनी स्तर से खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खेलने का अवसर मिल सके।

सवाल : महिला-पुरूष टीम ने ओलंपिक में क्वालिफाइ किया है, किस टीम से ज्यादा पदक की उम्मीद?

जवाब : दोनों की टीमें बेहतर खेल रही हैं। लेकिन 2019-20 तक हुए कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में महिलाओं की टीम ने जो प्रदर्शन किया है, वो काबिले तारीफ है। कोरोना महामारी के चलते अगर उनके खेल को प्रभावित नहीं किया है तो फिर महिला टीम ओलंपिक में देश के लिए पदक दिलाने का काम करेगी। लेकिन पुरूष टीम को भी हल्के में नहीं लिया जा सकताा है। हमारे लड़कों ने भी कई बार साबित करके दिखाया है। दोनों टीमों को टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने लिए अग्रिम बधाई मेरी तरफ से है।

सवाल : मेजर ध्यानचंद से खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलती है, उनके लिए सरकार से क्या मांग हैं?

जवाब : मेजर ध्यानंचद के नाम पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। इससे खिलाड़ियों को उनसे प्रेरणा मिलती रहती है। लेकिन दिल्ली में मेजर साहब के नाम से खेल संग्रहालय होना चाहिए ताकि वहां भ्रमण करने वाले युवाओं को उनके खेल इतिहास के बारे में जानकारी मिलती रहें। सरकार ने मेजर ध्यानचंद संग्रहालय स्थापित करने की मांग भी की जाएगी ताकि हाकी को जिंदा रखा जा सके। हॉकी को स्कूली स्तर पर शुरू करने की जरूरत है ताकि खेल के प्रति रूझान बन सके। 

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