लुवास की अजब खोज, 50 लाख रुपये का काम 1500 से, बनाई खुद की इंडोस्कोपिक कैमरा मशीन
आमतौर पर प्रचलित इंडोस्टकोपिक यूनिट 50 लाख रुपये की आती है। लेकिन लुवास ने वो कर दिखाया जिसकी उससे उम्मीद की जाती है। महज 1500 की इंडोस्कोपिक कैमरा मशीन तैयार कर दी।
हिसार, जेएनएन। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने एक अजब खोज की है। लुवास के वैज्ञानिक डॉ राम नजर चौधरी ने 50 लाख रुपये में आने वाली इंडोस्टकोपिक यूनिट के सामने 1500 रुपये की इंडोस्टकोपिक कैमरा मशीन तैयार की है। इसकी मदद से पशुओं के श्वास नली या खाने की नली में किसी प्रकार के रोग के डायग्नोसिस कर उपचार किया जा सकता है। पारंपरिक इंडोस्केपिक मशीन की उपलब्धता न होने ने इस खोज को करने की सोच दी।
अब शुक्रवार को भैंस की नाक में ग्रेन्युलोमा नामक बीमारी का आसानी से पता लगा कर इसका इलाज शुरू किया है। इस बीमारी के कारण भैंस के नाक से कई दिनों से खून बह रहा था, बिमारी नाक के अंदरूनी हिस्से में होने के कारण, खून स्त्रोत का पता ही नहीं चल रहा था। इससे पहले भी कई पशुओं में इसका सफल प्रयोग किया जा चुका है। इसके प्रयोग से हरियाणा के पशुपालकों को काफी फायदा पहुचेगा और शीघ्र ही लुवास विश्वविद्यालय इस इंडोस्कोपिक यूनिट के प्रशिक्षण की व्यवस्था हरियाणा के वेटरनरी सर्जनों के लिए करेगा ताकि वो फील्ड में इसका सुचारू रूप से इस्तेमाल कर सकें। इसके परीक्षण में डॉ. सतबीर, डा. संदीप गोयल एवं डॉ. राम निवास का भी सराहनीय योगदान रहा। यह तकनीक बहुत ही सरल व उपयोगी है। इसका प्रयोग फील्ड के डॉक्टर भी बड़ी ही आसानी से कर सकते है।
पारंपरिक इंडोस्केपिक मशीन के साथ यह थी दिक्कत
- पारम्परिक इंडोस्कोपिक यूनिट काफी महंगी व जटिल बनावट की होती है। जिसका अनुमानित लागत करीब 50 लाख रुपये है।
- इसको फील्ड में गांव-गांव ले जाना मुश्किल है एवं इसके उपयोग के लिए बिजली का होना अर्निवार्य होता है।
- इसके संचालन करने के लिये एक कुशल इंडोस्कोपी प्रशिक्षित डॉक्टर की आवश्यकता होती है।
- उपयोग के दौरान पशु द्वारा मशीन को हानि पहुंचाने की संभावना काफी ज्यादा है।
स्मार्टफोन से जोड़कर चलाई जा सकती है मशीन
लुवास द्वारा तैयार की गई मशीन को किसी भी स्मार्ट फ़ोन के साथ जोड़ कर चलाया जा सकता है। मौजूदा समय में लुवास द्वारा इसको नाक, मुंह, खाने एवं श्वास की नली के विभिन बीमारियों के पहचान के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। इसको जलरोधी कैमरे को आवश्यकतानुसार संशोधन करके बनाया गया है। इससे प्राप्त जानकारी (चित्र एवं फिल्म) को संचय करने की भी सुविधा है। डॉ. चौधरी के इस खोज को रिसर्च रिव्यु कमेटी के सामने भी प्रस्तुत किया जा चुका है। जिसे डायरेक्टर ऑफ रिसर्च ने काफी सराहा।