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को-ऑपरेटिव की तरह राष्ट्रीय बैंकों में भी किसानों को मिलेगा सस्ता ऋण : दलाल

कृषि मंत्री ने कहा कि सैकड़ों वर्ष से किसान साहूकारों के बोझ तले दबा था पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उन्हें कर्ज से निकाला गया है। किसान क्रेडिट कार्ड मुहैया कराए गए हैं। प्रदेश में 80 हजार किसानों के केसीसी कार्ड बन चुके हैं। 5 लाख किसानों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य तय करना है। प्रदेश में आगे चलकर को-ऑपरेटिव बैंक की तर्ज पर राष्ट्रीय बैंकों से भी सस्ती ब्याज पर ऋण देने की योजना पर सरकार काम कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 07:27 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 07:27 AM (IST)
को-ऑपरेटिव की तरह राष्ट्रीय बैंकों में भी किसानों को मिलेगा सस्ता ऋण : दलाल
को-ऑपरेटिव की तरह राष्ट्रीय बैंकों में भी किसानों को मिलेगा सस्ता ऋण : दलाल

जागरण संवाददाता, हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में मंगलवार को वर्चुअल किसान मेला का मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी में विशिष्ट अतिथि कृषि मंत्री जेपी दलाल ने शुभारंभ किया। उन्होंने सीएम मनोहर लाल के संदेश को पढ़ा। जिसमें उन्होंने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन बहुत जरूरी है। इस संबंध में विज्ञानी किसानों को जागरूक करने में जरूर कामयाब होंगे।

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कृषि मंत्री ने कहा कि सैकड़ों वर्ष से किसान साहूकारों के बोझ तले दबा था, पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उन्हें कर्ज से निकाला गया है। किसान क्रेडिट कार्ड मुहैया कराए गए हैं। प्रदेश में 80 हजार किसानों के केसीसी कार्ड बन चुके हैं। 5 लाख किसानों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य तय करना है। प्रदेश में आगे चलकर को-ऑपरेटिव बैंक की तर्ज पर राष्ट्रीय बैंकों से भी सस्ती ब्याज पर ऋण देने की योजना पर सरकार काम कर रही है। वेबिनार में फसल अवशेष प्रबंधन से लेकर फसलों की विभिन्न समस्याओं पर किसानों ने सवाल भी पूछे। इस दौरान एचएयू के कुलपति प्रो समर सिंह, लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डा. गुरदयाल सिंह सहित कई विज्ञानी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

किसानों को सही रास्ता दिखाने के लिए काम करें विज्ञानी

कृषि मंत्री ने कहा कि हरियाणा में आधे से अधिक किसान ठेका प्रथा के तहत खेती करते हैं। इस प्रक्रिया में किसान अधिक मुनाफे के लिए बहुतायात में रासायनिक दवाओं का प्रयोग करते हैं, ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके। यह रसायन जमीन और स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक हैं। ऐसे में विज्ञानी कोई ऐसा रास्ता निकालें जिसमें किसान जहरमुक्त खेती करें। पीएयू से 10 हजार अधिक रहे किसान, तकनीकी खामी से भी बचें

खास बात यह है कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के सामने चुनौती थी कि वर्चुअल मेला कैसे आयोजित कराया जाए, क्योंकि पंजाब एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय (पीएयू) में 20 हजार किसानों ने पंजीकरण कराया था। वहां कार्यक्रम शुरू होते ही तकनीकि खामी के कारण मुख्यअतिथि को इंतजार करना पड़ा था। इस चुनौती से एचएयू पहले दिन निपट गया। एचएयू के अधिकारियों के अनुसार 30 हजार किसानों ने मेले के लिए पंजीकरण किया तो ट्रायल के कारण तकनीकी खामी भी नहीं आई।


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