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ये है Lieutenant commander बेटी, बचपन में उठा पिता का साया तो मां ने ऐसेे निभाया फर्ज

अदिति चौधरी Navy में Lieutenant commander के पद पर हैं लेकिन उनके जीवन संघर्ष की कहानी दिल को छूने वाली है। संघर्ष के बाद वह इस मुकाम तक पहुंची हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 12:09 PM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 08:45 AM (IST)
ये है Lieutenant commander बेटी, बचपन में उठा पिता का साया तो मां ने ऐसेे निभाया फर्ज
ये है Lieutenant commander बेटी, बचपन में उठा पिता का साया तो मां ने ऐसेे निभाया फर्ज

भिवानी [सुरेश मेहरा]। ऐसी मां सबको मिले। मेरी मां अध्यापिका हैं और उन्होंने पिता से भी बढ़कर भूमिका निभाई और उन्हीं की बदौलत आज मैं Navy में Lieutenant commander के पद पर हूं। मुझे आज भी याद है जब मैं कुरुक्षेत्र और दिल्ली में पढ़ती थी और जब रेलगाड़ी में देर रात घर आती तो मेरी मां पुरुषों की ड्रेस में स्कूटी पर भिवानी रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ी मिलती। जब मैं कहती तो मां कहती बेटा रात का समय है और इसके लिए पुरुष की ड्रेस में थोड़ा सेफ रहता है। वास्तव में मेरी मां बहादुर हैं। यह कहना है सेक्टर 23 निवासी अदिति चौधरी का। वह फिलहाल मुंबई के कोलाबा में तैनात हैं। 

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अदिति ने कहा, मां ने मुझे बेटों की तरह पाला और इतना ही नहीं हमेशा आगे बढऩे का हौसला दिया। मैं जब कोई चार साल की थी, पिता बीआर चौधरी का बीमारी के कारण निधन हो गया। मगर मेरी मां ने हिम्मत के साथ हमें पिता और मां दोनों का प्यार ही नहीं जीवन में कामयाब होने के लिए पूरा सहारा भी दिया। मैं तो यह कहूंगी कि वास्तव में मेरी मां हिम्मतवाली हैं उनको मैं सैल्यूट करती हूं। 

वहीं मां सुदेश चौधरी कहती हैं कि मुझे बेटी पर गर्व है। बेटा पुलकित आर्मेनिया (यूरोप) में MBBS कर रहा है। पति की मौत के बाद मेरे सामने पहाड़ सी जिंदगी थी, लेकिन बच्चों को कामयाब बनाने का सपना भी था। भगवान ने हिम्मत दी और इस पुरुष प्रधान समाज में सबकुछ अकेले दम पर किया। बेटी को पढ़ाया-लिखाया। उसकी सुरक्षा का जिम्मा भी संभाला और संस्कारी भी बनाया। जब वह कुरुक्षेत्र में एमटैक करती थी और महीने में एक दो बार रेलगाड़ी से घर देर रात आती तो मैं खुद अपनी स्कूटी पर उसे लेने जाती थी।

सुदेश चौधरी बताती हैं कि अभी 9 नवंबर को बेटी अदिति की शादी की है। उनके दामाद सुरेंद्र महला भी Navy में Lieutenant commander हैं और फिलहाल विशाखापट्टनम में हैं। शादी में फेरों पर पंडित को भी कह दिया था कन्यादान नहीं उपहार कह सकते हैं। भगवान ऐसी बेटी सबको दे।

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