हिसार में है लाला लाज पतराय की ससुराल, बनवाई थी शहर की पहली पक्की सड़क, छह साल की वकालत
लाला लाज पतराय जंयती विशेष मुस्लिम बहुलय क्षेत्र से सर्वसम्मति से लाला लाजपत राय विजेता बने थे। यहीं नहीं 1889 में नगर पालिका हिसार के पहले भारतीय आनर्रेरी सचिव बने थे। उन्होंने हिसार में रहकर कई अहम कार्य किए और बाद में जंग ए आजादी में अहम भूमिका निभाई।
पवन सिरोवा, हिसार : हिसार की जनता एकता और सौहार्द की मिसाल पेश कर चुकी है। एकता और सौहार्द की सीख हिसार के महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय के जीवन से लेनी चाहिए। जिन्होंने नगर पालिका के चुनाव में हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल पेश की। मुस्लिम बहुलय क्षेत्र से सर्वसम्मति से लाला लाजपत राय विजेता बने थे। यहीं नहीं 1889 में नगर पालिका हिसार के पहले भारतीय आनर्रेरी सचिव बने थे। इससे पूर्व हमेशा डीसी ही नगर पालिका का सचिव होता था। लाला लाजपत राय ने हिसार में रहकर कई अहम कार्य किए और बाद में जंग ए आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने ने ही हिसार की पहली पक्की सड़क बनवाई थी।
लाला के समय में शहर में विकास ने पकड़ी थी रफ्तार
शहर के विकास के इतिहास की बात करते तो लाला लाजपत राय के कार्यकाल में हिसार में पहली पक्की सड़क का निर्माण करवाया गया था। जो बिश्नाई धर्मशाला के पास से इलाइट सिनेमा के साथ से होते हुए रेलवे स्टेशन तक बनी थी। प्रसिद्ध इतिहासकार एवं डीएन कालेज के प्रो. महेंद्र सिंह ने लाला लाजपत राय के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया हिसार में विकास के चलते लाला लाजपत राय को हिसार का शिल्पकार भी कहा जाता है।
लाला लाजपत राय ने छह साल की थी हिसार में वकालत
लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 और निधन 17 नवंबर 1928 को लाहौर में हुआ। हिसार में वे सन् 1886 से 1892 तक रहे और यहां वकालत की। इस दौरान वे बार एसोसिएशन के सदस्य भी रहे। लाला ने अपने जीवन के अहम दिन हिसार में बीताए। इन छह साल में उन्होंने समाज हित में कई अहम कार्य किया। हिसार में आर्यसमाज की स्थापना भी लाला लाजपत राय ने की।
लाला की ससुराल है हिसार
खजांचीयान बाजार के कोने पर बने मकान में लाला लाजपत राय किराए पर रहते थे। उनके पिता रोहतक में शिक्षक थे वे उस दौरान हिसार में रहकर अपनी वकालत कर रहे थे। यहां जैन गली के राधा रानी से उनका विवाह हो गया। यानि हिसार लाला लाजपत राय की ससुराल है। यहां से वे राजनीति में भी सक्रिय हुए। देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए सन 1888 और 1889 के नेशनल कांग्रेस के वार्षिक सत्रों में हिस्सा लिया। इलाहाबाद में हुए कांग्रेस के चौथे अधिवेशन में हिसार से पहुंचे। साल 1888 में हिसार के पते पर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।