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लाला लाजपत राय का रोहतक से खास नाता, कांग्रेस की बैठक में 1888 में दिया था भाषण, जानें रोचक किस्से

रोहतक गजेटियर के मुताबिक लाला लाजपत राय ने 12 अक्टूबर 1888 में रोहतक की डेयरी चौपाल में कांग्रेस की बैठक में हिस्सा लिया था। यहां उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष तोरबाज खान थे। उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी में लाला लाजपत राय ने काम किया।

By Naveen DalalEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 08:46 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 08:46 AM (IST)
वर्ष 1884 में पिता का तबादला रोहतक होने पर आए थे लाला लाजपत राय।

रोहतक, केएस मोबन। लाला लाजपत राय का रोहतक से भी खास नाता रहा है। यहां की अदालत में करीब डेढ़ साल वकालत की। कांग्रेस की बैठक में भी उन्होंने शहर के डेयरी मुहल्ला में भाषण दिया था। उनकी याद में दिल्ली गेट पर उनके नाम से मार्केट भी है, जहां उनकी प्रतिभा भी स्थापित है। बता दें कि 28 जनवरी 1865 में उनको जन्म हुआ और 17 नवंबर 1928 में उनका निधन हो गया। 

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दो साल बाद पिता के दोबारा तबादले के बाद हिसार चले गए थे

बता दें कि लाला लाजपत राय का जन्म पंजाब के मोगा जिले में एक अग्रवाल परिवार में हुआ था। इन्होंने लाहौर में शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1884 में पिता का तबादला रोहतक में हो गया था। पिता के साथ लाला लाजपत राय भी रोहतक आ गए। कुछ समय उन्होंने रोहतक बार में वकालत की। दो साल बाद पिता का तबादला हिसार हो गया, जिसके कारण उन्होंने हिसार में वकालत करनी पड़ी। हिसार बार काउंसिल के संस्थापक सदस्य भी बने। रोहतक बार के वरिष्ठ अधिवक्ता संतकुमार ने बताया कि लाला लाजपत का रोहतक बार से खास नाता रहा है। हालांकि उन्होंने थोड़े समय ही यहां वकालत करने का अवसर मिला। उनको बड़ा गर्व होता है कि जिस बार में लाला लाजपत राय ने वकालत की, वहां उनको भी अवसर मिला है। शहर के दिल्ली गेट पर लाला लाजपत राय के नाम पर मार्केट भी बनाई गई। शहर के बीचोंबीच यह मार्केट काफी प्रसिद्ध है। लाला लाजपत की मार्केट के बाहर प्रतिमा भी बनाई गई है। 

डेयरी मुहल्ला में दिया था भाषण

रोहतक गजेटियर के मुताबिक लाला लाजपत राय ने 12 अक्टूबर 1888 में रोहतक की डेयरी चौपाल में कांग्रेस की बैठक में हिस्सा लिया था। यहां उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष तोरबाज खान थे। उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी में लाला लाजपत राय ने काम किया। हालांकि उनके पिता का यहां 1884 में तबादला हो गया था, जिसके कारण वे रोहतक में आए थे। लेकिन दो साल बाद ही 1886 में उनके पिता का तबादला 1886 में हिसार में हो गया। जिसके कारण उनको हिसार जाना पड़ा। 

दो साल में ही जीत लिया था लोगों का दिल

लाला लाजपत राय रोहतक में मुश्किल से दो साल ही रहे थे। इस अवधि में उन्होंने न केवल वकालत के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना ली थी। वहीं कांग्रेस पार्टी के संगठन को लेकर भी उन्होंने बड़ा योगदान दिया। उस वक्त कांग्रेस के जिला अध्यक्ष तोरबाज खान के सबसे भरोसेमंद होने के साथ-साथ कार्यकर्ताओं में अपनी गहरी छाप छोड़ देते थे। रोहतक की डेयरी चौपाल में जब उन्होंने भाषण दिया तो कार्यकर्ता उसके कायल हो गए। कार्यकर्ता उनको लालाजी के नाम से पुकारते थे। 


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