यहां 52 सालों में 2348 प्रत्याशियों में से 2044 की जमानत जब्त, जानें कैसे होता है जमानत जब्त
अब तक सबसे अधिक 1989 में 94 फीसद प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी। 1977 के चुनावों में सबसे कम 66 फीसद प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी
रोहतक [पुनीत शर्मा] आपने चुनावों में प्रत्याशियों की जमानत जब्त होने की बातें और इसे जुमले की तरह बोलते हुए लोगों को कई बार देखा होगा। मगर क्या आप जानते हैं कि जमानत जब्त होना क्या होता है और इससे फर्क क्या पड़ता है। हरियाणा की एक सीट के अवलोकन से आप ये समझ सकते हैं।
बता दें कि रोहतक लोकसभा बनने के बाद से वर्ष 2019 तक हुए चुनावों में प्रदेश में कुल 2348 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई है। इनमें से बड़ी संख्या में प्रत्याशी ऐसे रहे हैं, जिन्हें इतना समर्थन भी नहीं मिल सका कि वह अपनी जमानत राशि बचा सकें। वर्ष 1989 के लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक 94 फीसद प्रत्याशियों की जमानत राशि जब्त हो गई थी, तो वहीं वर्ष 1977 में हुए चुनावों में सबसे कम 66 फीसद प्रत्याशी अपनी जमानत राशि नहीं बचा सके थे।
बृहस्पतिवार को आए लोकसभा चुनाव के परिणामों में लोकसभा के 18 में से 16 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। यदि वर्ष 1967 से लेकर 2019 तक हुए चुनावों की बात करें तो प्रदेश की सभी दस लोकसभा सीटों पर कुल 2348 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई है, लेकिन इनमें से 141 प्रत्याशियों को विजयश्री हासिल हुई है तो शेष 2207 प्रत्याशियों को मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया था।
कहते हैं कि चुनावों में जमानत जब्त होने से बचाना अपने आप में बहुत बड़ा खेल है, लेकिन 2348 प्रत्याशियों से 304 प्रत्याशी ही अपनी जमानत राशि बचाने में सफल हो सके हैं। जबकि 2019 तक हुए लोकसभा चुनावों में कुल 2044 प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में भी सफल नहीं हो सके। इस बार भी प्रदेश के 87 फीसद प्रत्याशियों ने अपनी जमानत जब्त कराई है।
1989 के चुनाव में थे सबसे अधिक प्रत्याशी
वर्ष 1989 में हुए लोकसभा चुनावों में प्रदेश में सबसे अधिक प्रत्याशियों ने चुनाव में हिस्सा लिया था। इस दौरान कुल 324 प्रत्याशी मैदान में थे, जिसमें से अभी तक सबसे अधिक 304 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। जबकि वर्ष 1977 में हुए चुनावों में सबसे कम कुल 50 प्रत्याशी मैदान में थे, जिनमें से 33 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी।
क्या होती है जमानत राशि
कोई भी प्रत्याशी जब किसी चुनावी मैदान में उतरता है तो उसे चुनाव आयोग के पास एक निर्धारित धनराशि जमानत के तौर पर जमा करनी होती है। यदि प्रत्याशी कुल पड़े वोटों के दस फीसद से कम वोट प्राप्त करता है तो ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग द्वारा उसकी जमानत राशि जब्त कर दी जाती है। जबकि दस फीसद से अधिक वोट पाने की स्थिति में उस धनराशि को वापस कर दिया जाता है। सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए 25 हजार रुपये जबकि एससी व एसटी वर्ग के प्रत्याशी को 12 हजार 500 रुपये जमानत राशि जमा करनी पड़ती है। वर्ष 2009 से पहले यह धनराशि क्रमश: 10 हजार और पांच हजार रुपये थी।
चुनावी वर्ष कुल प्रत्याशी जमानत जब्त
1967 67 49
1971 63 45
1977 50 33
1980 137 108
1984 200 180
1989 324 304
1991 198 173
1996 294 267
1998 140 111
1999 114 93
2004 160 137
2009 210 185
2014 235 206
2019 223 201
2019 में कहां कितने प्रत्याशियों की जमानत हुई जब्त
लोकसभा प्रत्याशी जमानत जब्त
अंबाला 18 16
भिवानी-महेंद्रगढ़ 21 19
फरीदाबाद 27 25
गुरुग्राम 24 22
हिसार 26 23
करनाल 16 14
कुरूक्षेत्र 24 22
रोहतक 18 16
सिरसा 20 18
सोनीपत 29 27
नोट : उक्त आंकड़े चुनाव आयोग की वेबसाइट से संकलित किए गए हैं।
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