Kisan Mahapanchayat: हरियाणा के कुछ संगठनों ने जताया शक, कहा- SKM के कई नेताओं और सरकार में है सांठगांठ
हरियाणा के कुछ किसान संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं और सरकार के बीच सांठगांठ का शक है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं है तो फिर किसी भी विरोध प्रदर्शन पर सरकार की कार्रवाई तभी क्यों होती है जब विरोध प्रदर्शन में एसकेएम का कोई नेता नहीं होता।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के बीच प्रदेश के कई संगठनों काे शक है कि संयुक्त किसान मोर्चा यानी एसकेएम के कई नेताओं और सरकार के बीच सांठगांठ है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर किसी भी विरोध प्रदर्शन पर सरकार की कार्रवाई तभी क्यों होती है जब विरोध प्रदर्शन में एसकेएम का कोई नेता नहीं होता। हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य जगबीर घसौला का कहना है कि जब एसकेएम के नेता प्रदर्शन में शामिल होकर विरोध करते हैं तो सरकार की तरफ से कोई बड़ा कदम नहीं उठाया जाता, बल्कि मामले को पूरी तरह से उसी दिशा में घुमाया-फिराया जाता है, जैसा सरकार चाहती है। इससे तो राजनीति से प्रेरित और पोषित नताओं व सरकार के बीच सांठगांठ होने की बात को बल मिलता है।
किसानों को हर हाल में न्याय दिलाकर रहेंगे
घसौला का कहना है कि बसताड़ा टोल प्लाजा पर जान गंवा चुके किसान सुशील काजल को न्याय दिलाने से किसी भी सूरत में हम पीछे नहीं हटेंगे। हां एक बात हमारी अब सिद्ध हो चुकी है और वो यह कि हम लंबे समय से एक आवाज उठा रहे थे कि प्रदेश में जितने भी विरोध प्रदर्शन किए जाते हैं उनमें संयुक्त किसान मोर्चा के कम से कम पांच नेता शामिल हों, ताकि प्रदेश में किसानों पर लाठीचार्ज व मुकदमों पर अंकुश लगाया जा सके। आज उस बात का उदाहरण करनाल में उपायुक्त कार्यालय के घेराव के दौरान देखने को मिला है। वहां पर किसानों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे हमारी बात सिद्ध हो जाती है कि अगर हरियाणा प्रदेश में विरोध प्रदर्शन एसकेएम के नेताओं की अगुवाई में किए जाते हैं तो निश्चित तौर पर प्रशासन व किसानों के बीच भिड़ंत नहीं होगी।
सरकार मामले को तूल दे रही है
जगबीर घसोला ने आगे कहा कि सरकार तो जानबूझकर मामले को तूल दे रही है। मृतक किसान के परिवार को 50 लाख की आर्थिक सहायता और एक सदस्य को नौकरी देना सरकार के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, मगर सरकार तो किसान आंदोलन को दिशा से भटका कर पूरे आंदोलन को सिर्फ जान गंवाने वाले किसानों की सहायता राशि और मुकदमे वापसी की तरफ ले जाना चाहती है।