किसान आंदोलन स्थगित : जानें घर वापसी के लिए आंदोलनकारियों ने 11 दिसंबर का ही क्यों चुना दिन
11 दिसंबर को सुबह नौ बजे यहां से किसानों की राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या नौ के रास्ते पंजाब की तरफ रवाना होगी। फूलों से सजे वाहनों में जत्थों की अगुवाई किसान नेता करेंगे और पीछे ट्रैक्टर-ट्राली चलेंगी। जगह-जगह होने वाली स्वागत समारोहों में किसान नेता ही रुकेंगे और जत्थे चलते रहेंगे।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: टीकरी बार्डर पर तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर एक साल से ज्यादा समय तक चल रहा आंदोलन वीरवार को समाप्त करने की घोषणा मंच से किसान नेताओं की ओर से कर दी गई। 11 दिसंबर को सुबह नौ बजे यहां से किसानों की राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या नौ के रास्ते पंजाब की तरफ रवाना होगी। फूलों से सजे वाहनों में जत्थों की अगुवाई किसान नेता करेंगे और पीछे ट्रैक्टर-ट्राली चलेंगी। जगह-जगह होने वाली स्वागत समारोहों में किसान नेता ही रुकेंगे और जत्थे चलते रहेंगे।
पंजाब के फतेहगढ़ व मालवा की तरफ किसानों का ठहराव होगा। 13 दिसंबर को अमृतसर के दरबार साहिब में पहुंचकर किसानों की ओर से मत्था टेका जाएगा। उसके बाद 15 दिसंबर को सभी किसान अपने-अपने घर पहुंच जाएंगे। किसान नेता बलदेव सिंह भाईरूपा की ओर से टीकरी बार्डर मंच से यह घोषणा की तो मंच के साथ-साथ सभा के पंडाल में मौजूद किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। सभी खुशी से उछल पड़े। एक-दूसरे को गले लगाने लगे। खुशी का दौर चल पड़ा। इसी बीच किसान नेताओं ने आह्वान किया कि जो भी किसान अपने तंबू की पैकिंग कर रहा है वो अभी ना करें।
शुक्रवार को सभी किसान मिलकर पैकिंग करेंगे। पूरे आंदोलन स्थल पर आपरेशन क्लीन चलाया जाएगा। साफ-सफाई की जाएगी। जैसा पहले था, वैसा ही यहां पर किया जाएगा। बलदेव सिंह ने मंच से एक साल तक किसानों के संघर्ष की वजह से परेशानी झेलने वाले उद्यमियों, दुकानदारों, व्यापारियों व राहगीरों से हाथ जोड़कर माफी भी मांगी गई। किसान नेताओं ने हाथ जोड़कर एक सुर में बोलते हुए कहा कि उनकी वजह से परेशानी झेलने वाले लोग हमें माफ करें। साथ ही आंदोलन में सहयोग देने वालों का धन्यवाद भी किया।
मगर मांगे मानने के बावजूद किसानों ने 10 दिसंबर की बजाय 11 दिसंबर का दिन क्यों चुना यह सवाल पूछा जाता रहा। किसानों ने कहा कि हेलीकाप्टर क्रैश होने के दौरान सीडीएस बिपिन रावत उनकी पत्नी व अन्य 11 सेना के जवानों के शहीद होने पर वो भी दुखी हैं। 10 दिसंबर को उनकी अंतिम विदाई होनी थी। वे यहां से जाने के दौरान खूब जश्न मनाना चाहते हैं। मगर सेना के जवानों के अंतिम संस्कार के दिन ये सब करना सही नहीं होता। इसलिए हमने 10 दिसंबर की बजाय घर वापसी के लिए 11 दिसंबर का दिन चुना।
वहीं बहादुरगढ़ में गुरनाम सिंह चढूनी भारतीय किसान यूनियन, सुमन हुड्डा प्रदेश अध्यक्ष महिला विंग रोहतक ने किसानों की जीत की खुशी में गाड़ी में बैठकर 25/30 की हाजरी में एक विजय जलूस टिकरी बॉर्डर से सेक्टर 9 मोड़ बहादुरगढ़ तक निकाल रहे हैं। सभी किसानों को जीत की बधाई दे रहे हैं।
भंगड़े पौंदे जाएंगे, सावधानी बरतते हुए अनुशासन भंग न करने की अपील
किसान नेता बलदेव सिंह ने मंच से घोषणा की कि यह हमारी बड़ी जीत है। इस जीत का जश्न हम खूब मनाएंगे। भंगड़े पौंदे घर जाएंगे। मगर उन्होंने सभी किसानों को सावधान भी किया कि घर वापसी में किसी को भी अनुशासन भंग नहीं करना है। ट्रैक्टर एक लाइन में चलाएं। ओवरटेक ना करें। ट्रैक्टर को तेज गति से नहीं चलाना है।
प्रशासन से की अपील, ट्रैफिक प्रबंध जरूर करें
किसान नेताओं ने कहा कि हमारे किसान साथी पूरी तरह से अनुशासन में रहकर घर वापसी करेंगे। मगर ट्रैफिक व्यवस्था संभावना प्रशासन का काम है। सुरक्षा व्यवस्था व यातायात संचालन सुचारु रूप से करने के लिए उन्होंने प्रशासन से भी अपील की।
शनिवार को एनएच-9 पर जरा संभलकर चलें
किसानों की वापसी शनिवार को सुबह होनी है। ढाई से तीन हजार ट्रैकटर-ट्रालियों का काफिला यहां से रवाना होगा। ऐसे में पूरा एनएच-9 तीन-चार घंटे जाम रहने की संभावना है। इसके चलते आमजन व वाहन चालकों को शनिवार को एनएच-9 पर संभलकर चलना होगा। जाम में फंसने से बचने के लिए उन्हें अपने गंतव्य तक जाने के लिए दूसरे रास्ते अपनाने होंगे।
....आंदोलन खत्म हो गया, यह बड़ी खुशी की बात है। 11 दिसंबर को किसान यहां से घर वापसी करेंगे। ऐसे में प्रशासन की ओर से ट्रैफिक समेत सभी व्यवस्था दुरुस्त रखी जाएंगी। बाईपास से लेकर पूरे रास्ते पर प्रशासन की ओर से पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से अतिरिक्त फोर्स पहले ही बुलाई गई है।