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Kisan Andolan News: आंदोलनकारियों की नजर अब संसद के सत्र पर टिकी, 4 दिसंबर की बैठक हो सकती है निर्णायक

किसानों की नजर अब सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र पर टिकी हुई है । सरकार की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा के बाद जो प्रक्रिया शुरू की गई है उसी क्रम में संसद के अंदर प्रस्ताव लाया जाना है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 08:17 AM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 08:17 AM (IST)
Kisan Andolan News: आंदोलनकारियों की नजर अब संसद के सत्र पर टिकी, 4 दिसंबर की बैठक हो सकती है निर्णायक
संसद में कानून वापसी पर मुहर लगने की बात को लेकर आंदोलनकारी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: तीन कृषि कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन में दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों की नजर अब सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र पर टिकी हुई है । सरकार की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा के बाद जो प्रक्रिया शुरू की गई है उसी क्रम में संसद के अंदर प्रस्ताव लाया जाना है। प्रधानमंत्री की ओर से इसी सत्र के दौरान तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा कर रखी है । इसकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद आंदोलनकारियों की ओर से आगामी रणनीति तय की जाएगी ।

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जिस तरह आंदोलनकारियों को सरकार की ओर से घोषणा पर अमल किए जाने का इंतजार है, ठीक उसी तरह से आम लोगों को भी आंदोलनकारियों की कथनी पूरी होने का इंतजार है। एक साल से बहादुरगढ़ इस आंदोलन की वजह से भारी नुकसान झेल चुका है। उद्योग और व्यापार के अलावा आम आदमी को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। अब लोगों का कहना है कि सरकार तो यह प्रक्रिया पूरी कर देगी लेकिन आंदोलनकारियों को भी अब कानून वापसी के साथ घर वापसी की कथनी को पूरा करना चाहिए । अब तक तो ये कानून वापिस लिए जाने का इंतजार कर रहे थे। जाहिर है कि अब तो नए कानून वापस हो ही रहे हैं तो इसलिए दिल्ली की सीमाओं को बंद रखने का कोई औचित्य नहीं बनता। आंदोलनकारियों को 4 दिसंबर की बैठक से पहले ही घर वापसी करके आंदोलन को समाप्त करना चाहिए।

आखिरकार जिस मांग के लिए आंदोलन शुरू किया गया था, वह पूरी हो ही रही है। सरकार की ओर से अन्य मांगों को लेकर भी सकारात्मक रुख दिखाया गया है। पराली के कानून से किसानों को रियायत दी गई है तो एमएसपी पर कमेटी बनाने की घोषणा भी कर रखी है। जाहिर है कि इससे किसानों की जो भी मांगे थी वे पूरी हो रही है । अब आंदोलन को जारी रखा जाता है तो उसे मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।

एक साल का वक्त किन हालातों में बीता है यह सब जानते हैं । दिल्ली आने जाने से लेकर अन्य तरह की परेशानियां झेलनी पड़ी हैं। हजारों लोगों का रोजगार छूट गया है । कई पेट्रोल पंप ठप पड़े हैं। इधर, हरियाण के किसान एमएसपी की ही रट लगाए हुए हैं हालांकि तीनों कानूनों के लागू होने की स्थिति में एमएसपी कानून की मांग उठाई गई थी। अब जबकि कानून ही वापस हो रहे हैं तब इस मांग को भी हर कोई निरर्थक की मान रहा है।


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