Kisan andolan: पिछले साल दिवाली पर शुरू हुआ था आंदोलन, इस बार टिकरी बार्डर पर मनेगा पर्व
आंदोलन में पिछले साल दिवाली से दो सप्ताह बाद दिल्ली के बार्डरों पर प्रदर्शनकारियों ने डेरा डाला था। इस बार यह पर्व यहीं पर मन रहा है। शुरुआत में छह महीनों का राशन लेकर आने का दावा करने वाले किसानों को भी अंदाजा नहीं था कि आंदोलन इतना लंबा खिंचेगा।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन में पिछले साल दिवाली से दो सप्ताह बाद दिल्ली के बार्डरों पर प्रदर्शनकारियों ने डेरा डाला था। इस बार यह पर्व यहीं पर मन रहा है। शुरुआत में छह महीनों का राशन लेकर आने का दावा करने वाले किसानों को भी यह अंदाजा नहीं था कि आंदोलन इतना लंबा खिंचेगा। फिलहाल ताे जो हालात हैं, उनमें यह आंदोलन कब तक चलेगा, इसका कुछ पता नहीं है। सरकार की ओर से भी पहल नहीं की जा रही है और किसानों द्वारा भी अपनी जिद नहीं छोड़ी जा रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि बातचीत होनी संभव नहीं है, क्योंकि सरकार की तरफ से जो प्रस्ताव जनवरी में दिया गया था, वह किसानों द्वारा ठुकरा दिया गया था। ऐसे में बात होगी भी तो किस विषय पर।
उसके बाद से ही दोनों पक्षों द्वारा बातचीत के लिए तैयार होने की बात तो कही जा रही है, लेकिन पहल नहीं हो रही। इधर, हाल ही में टीकरी बार्डर से पैदल राहगीरों और दुपहिया वाहनों के लिए रास्ता तो खुल गया है, लेकिन 15 नवंबर को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी तो उसमें दिल्ली पुलिस की तरफ से यह जवाब दाखिल करने की तैयारी की जा रही है कि उसकी तरफ से तो रास्ते खोले जा रहे थे, लेकिन किसानों ने उसका विरोध कर दिया। जबकि अब तक किसानों द्वारा रास्ते बंद करने के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था।
बार्डर खुलने से मिली सीधी राह
वैसे तो सरकार-प्रशासन और उद्यमियों द्वारा टीकरी बार्डर से चौपहिया वाहनों के लिए रास्ता खोलने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन आंदोलनकारी इसके लिए तैयार नहीं हुए। जब रास्ता खुलने लगा तो उन्होंने इसका विरोध कर दिया। रात में पुलिस ने 20 फीट के रास्ते के लिए बैरिकेड हटाए तो आंदोलनकारियों ने विरोध करके केवल पांच फीट तक ही रास्ता खुलने दिया। उसमें से भी एक तरफ का ढाई फीट का ही रास्ता है।