Move to Jagran APP

Kisan Andolan News: सिंघु बार्डर की घटना के बाद आंदोलन समर्थकों को नहीं सूझ रहा जवाब, लाेग पूछ रहे सवाल

धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी के आरोप में अनुसूचित जाति के एक युवक की तड़पा-तड़पाकर हत्या किए जाने की घटना के बाद आंदोलन समर्थकों को कोई जवाब नहीं सुझ रहा है। दूसरी तरफ इस घटना ने आम आदमी के मन में आंदोलन के प्रति नफरत भर दी है

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 07:40 AM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 07:40 AM (IST)
Kisan Andolan News: सिंघु बार्डर की घटना के बाद आंदोलन समर्थकों को नहीं सूझ रहा जवाब, लाेग पूछ रहे सवाल
सिंघु बार्डर पर व्‍यक्ति की हत्‍या करने के बाद जनता के मन में आंदोनल के प्रति नफरत पैदा हुई है

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : सिंघु बार्डर पर पिछले दिनों धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी के आरोप में अनुसूचित जाति के एक युवक की तड़पा-तड़पाकर हत्या किए जाने की घटना के बाद आंदोलन समर्थकों को कोई जवाब नहीं सुझ रहा है। दूसरी तरफ इस घटना ने आम आदमी के मन में आंदोलन के प्रति नफरत भर दी है। वैसे तो आंदोलन के बीच आपराधिक घटनाएं शुरूआत से ही हो रही हैं, लेकिन इस घटना ने तो हर सभ्य इंसान की रूह कंपा दी है।

prime article banner

इसके बाद से तो इंटरनेट मीडिया से लेकर सार्वजनिक चर्चाओं तक में नागरिकों द्वारा ढेरों सवाल उठाए जा रहे हैं। आंदोलन को लेकर पूछा जा रहा है कि दिल्ली के बार्डरों को बंद किए बैठी भीड़ एक तरफ तो कानूनों की वापसी के साथ ही नया कानून मांग रही है और दूसरी तरफ उसी भीड़ के बीच देश के कानून काे ही कुछ नहीं समझ जा रहा तो फिर अांदोलनकारियां द्वारा उठाई जा रही मांग का औचित्य ही क्या है।

महज एक तथाकथित आरोप के चलते ही इस तरह से किसी की नृशंस हत्या कर दिया जाना तो यही साबित करता है कि कानून और न्याय व्यवस्था उनके लिए कुछ नहीं है। उधर, संयुक्त किसान मोर्चा की अोर से हर बार की घटना के बाद इस बार भी पल्ला झाड़ लेना किसी को हैरान नहीं कर रहा है, क्योंकि मोर्चा के प्रति भी यहीं धारणा बन चुकी है कि आंदोलन में चाहे कुछ भी हो जाए, मोर्चा उसकी जिम्मेदारी कभी लेता ही नहीं, बल्कि हर बार या तो पल्ला झाड़ लेता है या फिर आरोपितों का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से बचाव करता है।

शुरूआत में जब 26 जनवरी की घटना हुई, तो लाल किले पर जाकर उत्पात मचाने वालों से माेर्चा ने खुद को अलग कर लिया था, लेकिन बाद में उन्हीं की पैरवी की गई। ऐसा ही कुछ दूसरी घटनाओं में भी हुआ। आखिर ऐसा कब तक होगा। ऐसा नहीं है कि इस आंदोलन में आपराधिक घटनाओं का शिकार केवल वही लोग हुए हैं, जो इस आंदाेलन में आए हैं बल्कि इस आंदोलन की आड़ में उन लोगों के साथ भी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनका इससे कुछ मतलब नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK