Move to Jagran APP

Kisan Andolan: हरियाणा के विरोधी दलों के नेताओं में टिकैत का समर्थन करने की होड़

Kisan Andolanकांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा के बाद इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अभय चौटाला भी लग्जरी कारों का काफिला लेकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंच गए। हरियाणा का जाट समुदाय टिकैत के प्रति संवेदना से भर गया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2021 04:22 PM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2021 04:22 PM (IST)
Kisan Andolan: हरियाणा के विरोधी दलों के नेताओं में टिकैत का समर्थन करने की होड़
इनेलो नेता अभय चौटाला लग्जरी कारों का काफिला लेकर गाजीपुर बॉर्डर जाते हुए। फाइल

हिसार, जगदीश त्रिपाठी। Kisan Andolan गणतंत्र दिवस पर जब अराजक तत्व दिल्ली में उपद्रव कर रहे थे तो देशभर के लोगों के साथ ही हरियाणा के लोगों की आंखें भी गम और गुस्से से भरी हुई थीं, लेकिन उसके बाद जब भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रोते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस न लेने पर आत्महत्या की धमकी दी तो स्थिति बदल गई। हरियाणा के विरोधी दलों के नेताओं में टिकैत का समर्थन करने की होड़ मच गई। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुत्र राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा गाजीपुर (उत्तर प्रदेश-दिल्ली बॉर्डर) पर धरना दे रहे टिकैत के पास पहुंच गए। दीपेंद्र के बाद इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अभय चौटाला भी सैकड़ों लग्जरी कारों का काफिला लेकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंच गए।

loksabha election banner

वैसे टिकैत के आंसुओं का सर्वाधिक लाभ एक अन्य नेता भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष पंजाब के बलवीर सिंह राजेवाल को मिला। वह हरियाणवियों के गुस्से से बच गए। बता दें कि राकेश टिकैत उस भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता हैं, जिसके अध्यक्ष उनके भाई नरेश टिकैत हैं। कभी उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत ने भारतीय किसान यूनियन की स्थापना की थी, अब तो कितनी किसान यूनियन हैं, यह शोध का विषय है। राजेवाल से हरियाणवी इसलिए गुस्सा थे, क्योंकि उन्होंने दिल्ली में उपद्रव का आरोप हरियाणा के युवाओं के सिर पर मढ़ दिया था। साथ में यह भी जोड़ा कि ऐसे ही युवाओं के कारण हरियाणा में जाट आंदोलन विफल हुआ था। इसका विरोध हुआ तो उन्होंने माफी मांगते हुए परंपरानुसार सफाई दी कि उनका आशय वह नहीं था, जो समझा जा रहा है। बोले-हरियाणा पंजाब का छोटे भाई है और वे अपने छोटे भाई के बच्चों को प्यार भरी फटकार लगा रहे थे। यह बात अलग है कि उनकी सफाई पर किसी ने विश्वास नहीं किया, लेकिन चर्चा का केंद्र टिकैत बन गए तो राजेवाल नेपथ्य में चले गए और हरियाणा का जाट समुदाय टिकैत के प्रति संवेदना से भर गया।

खाप पंचायतों की बैठकें होने लगीं और टिकैत को समर्थन देने की क्रांतिकारी उद्घोषणाओं के साथ लोग धरनास्थलों (सोनीपत के सिंघु बॉर्डर और बहादुरगढ़) की तरफ कूच करने लगे। यह देख पंजाब से आए किसान संगठनों के नेता, जो अपना बिस्तर बांध रहे थे, उन्होंने भी अपना इरादा त्याग दिया। यद्यपि जाट समुदाय पहले से ही आंदोलन के समर्थन में था, लेकिन नेतृत्व पंजाब के किसान संगठनों के नेताओं के हाथों में ही था। अब आंदोलन का नेतृत्व अलग-अलग धरनास्थलों पर जाट समुदायों के नेता करने लगे हैं। यहां तक तो ठीक है, लेकिन वहां जिस तरह से उग्र भाषण दिए जा रहे हैं, उससे समाज को बहुत नुकसान हो रहा है। एक बड़ा वर्ग सशंकित है और उसका मानना है कि आंदोलन कभी भी हिंसक हो सकता है। इससे कहीं न कहीं सामाजिक सद्भाव भी दरक रहा है।

इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय यूट्यूबर इसमें प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं। यह स्थिति चिंताजनक है। रही बात खाप पंचायतों की तो समाज में जब खाप पंचायतों की व्यवस्था की गई तो उसमें सभी जाति-वर्ग के प्रतिनिधि होते थे। खाप पंचायतें एक निश्चित परिधि में आने वाले गांवों, जिनकी संस्कृति और आचार-विचार-व्यवहार समान होता है, का प्रतिनिधित्व करती थीं। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से राज्यसभा में भेजे गए लेफ्टिनेंट जनरल डीपी वत्स भी खापों के प्रतिनिधि माने जाते हैं। उन्होंने सगोत्र विवाह रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय तक कानूनी लड़ाई लड़ी है, लेकिन अब खापों का स्वरूप बदल गया है। वे सर्वजातीय न होकर सगोत्रीय हो गई हैं, जैसे-सांगवान खाप, दहिया खाप आदि। इसलिए खाप पंचायतों में अब वह बात नहीं रही जो कभी हुआ करती थी, क्योंकि अब उसमें अन्य जातियों के प्रतिनिधि होते ही नहीं। खैर जो भी खाप पंचायतें हैं, उन्हें सामाजिक सद्भाव और बना रहे, इसकी चिंता करनी होगी।

और अंत में: कालका (पंचकूला जिले का विधानसभा क्षेत्र) से कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी की विधानसभा की सदस्यता समाप्त हो गई है। कारण यह कि चौधरी को तीन साल का कारावास हो गया है। वह जिस घटना में दोषी प्रमाणित हुए हैं, वह 2011 में हुई थी। हिमाचल के थाना बरोटीवाना में ट्रैफिक जांच से बचने के लिए सुना सिंह नाम का एक व्यक्ति भागते समय बिजली के ट्रांसफॉर्मर के तारों की चपेट में आकर झुलस गया था। पीजीआइएमएस चंडीगढ़ में उसकी मौत के बाद परिवार और अन्य लोगों ने बद्दी रेडलाइट चौक पर उसका शव रखकर प्रदर्शन किया, जिसमें चौधरी भी शामिल थे। अब वह उस प्रदर्शन में शामिल होकर पछता रहे होंगे। यद्यपि चौधरी उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने तो अपना काम कर ही दिया। भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेसी अविश्वास प्रस्ताव का जो गुब्बारा उड़ा रहे थे, उसमें पिन चुभ गई है और उसकी हवा निकल चुकी है।

[प्रभारी, हरियाणा राज्य डेस्क]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.