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Kisan Andolan: कोरोना से युवती की मौत के बाद भी हालात जस के तस, मास्क और दूरी से परहेज

टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन जारी है। न मास्क का ख्याल है न शारीरिक दूरी का। एक दिन पहले ही पश्चिम बंगाल की युवती की कोरोना से मौत हुई। फिर भी आंदोलनकारी टेस्ट और वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार नहीं हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 05:32 PM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 05:32 PM (IST)
Kisan Andolan: कोरोना से युवती की मौत के बाद भी हालात जस के तस, मास्क और दूरी से परहेज
टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में कोविड नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

बहादुरगढ़, जेएनएन। किसान आंदोलन के बीच टीकरी बॉर्डर पर आई पश्चिम बंगाल की युवती की कोरोना से मौत होने के बाद भी यहां पर हालात नहीं बदल रहे हैं। रोजाना सभा चल रही है। मास्क और दूरी से पूरी तरह परहेज किया जा रहा है। काेई टेस्टिंग के लिए भी तैयार नहीं हुआ है।

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इन हालातों में आंदोलन के बीच कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना बनी हुई है। इस बीच शनिवार को मृतक युवती मोमिता बसु की अस्थियां लेकर उसके पिता उत्पल बसु आंदोलन के बीच टीकरी बॉर्डर के मंच पर पहुंचे। यहां आंदोलनकारियों ने मोमिता को श्रद्धांजलि दी। अहम बात यह है कि मृतका मोमिता के पिता ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि सरकार की बदइंतजामी के कारण ही ऐसा हो रहा है। मगर दूसरी तरफ यह बात भी है आंदोलन की शुरुआत से लेकर दूसरी लहर आने तक यहां पर आंदोलनकारी एक ही बात कहते रहे हैं कि कुछ कोरोना नहीं है। यह एक षड्यंत्र है। हालांकि कुछ दिनों से यहां पर आंदोलनकारियों से उनके कई नेता गर्म पानी का ही सेवन करने की अपील जरूर कर रहे हैं। मगर बचाव के दूसरे नियमों से अभी परहेज किया जा रहा है।

कई आंदोलनकारियों के बीच रही थी युवती

पश्चिम बंगाल की जिस युवती की कोरोना से मौत हुई है, वह कई दिनों से आंदोलन में आई हुई थी। अलग-अलग तंबुओं में आंदोलनकारियों के बीच रही। करीब 10 दिन पहले उसकी तबीयत बिगड़ी थी। पहले साधारण दवाई ली। बाद में जब दिक्कत आई तो उसे सिविल अस्पताल और पीजीआइ ले जाया गया। बाद में शहर के निजी अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। कोविड प्रोटोकॉल से उसका अंतिम संस्कार तो किया गया, मगर इस मौत की घटना के बाद अभी कोई एहतियात यहां पर नहीं दिख रहा है।

टेस्ट न करवाने से तेजी से फैल सकता है संक्रमण

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आंदोलनकारियों को भी टेस्ट करवाना चाहिए। वैसे तो हर वक्ता की जुबां पर इस महामारी का नाम है, मगर कोई इसे अभी भी मामूली संक्रमण बता रहा है तो कोई इससे बचने के नुस्खे सिखा रहा है। मगर टेस्टिंग और वैक्सीनेशन से परहेज किया जा रहा है। आंदोलन में कोरोना महामारी को लेकर जो भयभीत हैं, वे वैक्सीन लगवा चुके हैं कुछ जगहों पर कपड़ा भी मास्क के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। मगर ऐसे लोगों की संख्या न के बराबर है।

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