किसान आंदोलन: बहादुरगढ़ के पास झाड़ौदा बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस ने चिनवाई तीन लेयर में सीसी की दीवार
दिल्ली पुलिस ने झाड़ौदा बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी करते हुए थ्री लेयर में सीमेंट रेती-रोड़ी की दीवार चिनवा दी है। साथ ही यहां पर मिट्टी से भरे ट्रक पहले से ही मौजूद हैं। ऐसे में यहां से दिल्ली में एंट्री होना मुश्किल है।
बहादुरगढ़, जेएनएन। किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली पुलिस और ज्यादा सक्रिय नजर आ रही है। आलम ये है कि झाड़ौदा बॉर्डर लगातार पांचवें दिन रविवार को भी बंद रहा। दिल्ली पुलिस ने यहां पर सुरक्षा कड़ी करते हुए थ्री लेयर में सीमेंट, रेती-रोड़ी की दीवार चिनवा दी है। साथ ही यहां पर मिट्टी से भरे ट्रक पहले से ही मौजूद हैं। हरियाणा दिल्ली बॉर्डर की ठीक सीमा पर और इसके 100 मीटर की दूरी पर दूसरी दीवार और उसके आगे मुंगेशपुर ड्रेन पर तीसरी दीवार चिनवाई गई है।
यह कार्य दिल्ली पुलिस की ओर से रविवार को सुबह ही शुरू कर दिया गया था। दोपहर तक तीनों दीवार बना दी गई। साथ ही इसमें लोहे के सरिये भी लगवाए गए हैं। यह पूरी तरीके से एक बीम की तरह सीसी की दीवार हो गई है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि अगर कोई असामाजिक तत्व बॉर्डर से दिल्ली में घुसने का प्रयास करेगा तो यह दीवार काफी हद तक उन्हें रोकने का प्रयास करेगी। इसके अलावा यहां पर अर्धसैनिक बल की टुकड़ी तैनात की गई हैं। साथ ही दिल्ली पुलिस के जवान भी यहां पर तैनात हैं।
झाड़ौदा बॉर्डर पर चार दिन से बंद कच्चे रास्ते से पांचवें दिन रविवार को बेरिकेडिंग हटा दी गई है। ऐसे में इन रास्तों से छोटे वाहन आसानी से आ जा रहे हैं। मगर रास्तों में उबड़ खाबड़ होने और मिट्टी आदि होने के कारण वाहन चालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बार-बार पंक्चर व अन्य तकनीकी खराबी आने से वाहन चालक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। चालकों ने बॉर्डर को जल्द से जल्द खोलने की मांग की है।
दिल्ली पुलिस का कहना है किजब तक बजट पास नहीं हो जाता तब तक यहां पर सुरक्षा कड़ी रखी जाएगी। उसके बाद अधिकारियों के आदेश आने पर ही बॉर्डर को खोल जायगा, अन्यथा नहीं। इसके अलावा हर रोज अफवाह आती है कि दिल्ली पुलिस की ओर से छोटे बॉर्डर भी बंद कर दिए गए हैं, मगर ये सभी खुले हुए हैं। यहां आसानी से वाहन आ जा रहे हैं। भारी वाहनों को थोड़ी परेशानी होती है क्योंकि यहां पर गांव के रास्ते संकरे हैं। ऐसे में भारी वाहन आसानी से आ जा नहीं पाते, इसलिए उन्हें रात के वक्त यहां से आना जाना पड़ता है।