किसान आंदोलन : कल टीकरी बॉर्डर पर होगा होलिका दहन, कृषि कानून की प्रतियां जलाएंगे आंदोलनकारी
28 मार्च को टीकरी बॉर्डर पर होलिका दहन होगा। उसी में कृषि कानूनों की प्रतियां भी जलाई जाएंगी। बसंत पंचमी पर बाकायदा यहां पर होली बनाई भी गई थी। तैयारी जरूर की थी मगर तब शायद आंदोलनकारियों को यह आभास नहीं था कि यह पर्व भी बॉर्डर पर ही बीतेगा।
बहादुरगढ़, जेएनएन। तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन को एक-एक करके चार माह का वक्त बीत चुका है। भारत बंद का इस बार ज्यादा असर नहीं दिखा। सड़क और रेल मार्ग जाम करने को आंदोलनकारियों ने जोर लगाया, मगर बाजारों में यह बेअसर ही रहा। कोई व्यापारिक संगठन इस बंद के समर्थन में नहीं आया। अब 28 मार्च को टीकरी बॉर्डर पर होलिका दहन होगा। उसी में कृषि कानूनों की प्रतियां भी जलाई जाएंगी। बसंत पंचमी पर बाकायदा यहां पर होली बनाई भी गई थी। तैयारी जरूर की थी, मगर तब शायद आंदोलनकारियों को भी यह आभास नहीं था कि यह पर्व भी बॉर्डर पर ही बीतेगा।
इसी महीने संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जो गतिविधियां तय की गई हैं, उसी कड़ी में होलिका की अग्नि में कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर एक बार फिर आंदोलनकारी विरोध दर्ज कराएंगे। लोहड़ी पर भी ऐसा ही किया गया था। होली के बाद संयुक्त मोर्चा की फिर से बैठक हो सकती है। उसमें आगामी गतिविधियां तय की जाएंगी। वैसे तो इन दिनों पांच राज्यों में चुनाव के चलते कई किसान नेता उनमें व्यस्त हैं और विभिन्न राज्यों का दौरा कर रहे हैं, मगर आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए नई रणनीति बनाने का भी मोर्चे पर दबाव है।
इस महीने की अधिकतर गतिविधियां उतनी प्रभावी साबित नहीं हो पाई हैं, जिस तरह की उम्मीद की जा रही थी। दूसरी तरफ पांच राज्यों के चुनावी नतीजों पर भी नजर टिकी हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि 2 मई को आने वाले नतीजे इस अांदोलन का भविष्य तय कर सकते हैं।