आंदोलन : किसानों का आज मंडियों में प्रदर्शन, मुजारा लहर दिवस मनाएंगे, जानें क्या होता है ये
1920 के दशक में पट्टेदार किसानों ने राजाओं जमींदारों और ब्रिटिश अधिकारियों से भूमि स्वामित्व के अधिकार पाने के लिए आंदोलन किया था। उस आंदोलन को मुजारा आंदोलन के नाम से जाना जाता है। उसी की याद में यह दिवस मनाने की घोषणा की गई।
बहादुरगढ़, जेएनएन। संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर आंदोलनकारी किसानों की ओर से आज शुक्रवार को मंडियों में प्रदर्शन किया जा रहा है। मार्केट कमेटी सचिवों के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भी भेजा जाएगा। यह दिन किसानों की ओर से मुजारा लहर दिवस के रूप में मनाने के लिए घोषित कर रखा है। दरअसल, वर्ष 1920 के दशक में पट्टेदार किसानों ने राजाओं, जमींदारों और ब्रिटिश अधिकारियों से भूमि स्वामित्व के अधिकार पाने के लिए आंदोलन किया था। उस आंदोलन को मुजारा आंदोलन के नाम से जाना जाता है। उसी की याद में यह दिवस मनाने की घोषणा की गई।
एक दिन पहले किसानों की ओर से 26 मार्च के भारत बंद को लेकर विभिन्न संगठनों के साथ बैठक भी की गई थी। इस तरह की बैठक सिंघु बॉर्डर के अलावा टीकरी बॉर्डर पर भी हुई थी। इनमें आगामी गतिविधियों को लेकर चर्चा की और इन्हें सफल बनाने के लिए रणनीति तय की गई थी। 23 मार्च को दिल्ली के बॉर्डरों पर शहीद दिवस बनाया जाएगा। इस दिन युवाओं को आंदोलन का मंच सौंपा जाएगा। 26 के भारत बंद के आह्वान के बाद 28 मार्च को होलिका दहन में कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी। ऐसा ही किसानों ने लोहड़ी पर्व पर भी किया था।
मई से पहले बातचीत के आसार नहीं
विश्लेषकों का मानना है कि सरकार और आंदोलनकारियों के बीच बातचीत को लेकर जो गतिरोध बना हुआ है, वह मई से पहले टूटता नजर नहीं आ रहा है। 2 मई को जब पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आएंगे वे इस आंदोलन को लेकर सरकार का रुख तय कर सकते हैं। शायद इसीलिए किसान नेता भी चुनावी राज्यों का दौरा करके सत्तारूढ़ दल के खिलाफ गोलबंदी की कोशिश कर रहे हैं।
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