किसान आंदोलन: बहादुरगढ़ में किराये पर चल रही 20 से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद, 200 से ज्यादा की गई नौकरी
देश के कई राज्यों में तीन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन को तीन माह पूरे होने वाले हैं। आंदोलन के कारण बहादुरगढ़ इंडस्ट्री को चार से पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। साथ ही कच्चा माल नहीं आने से फैक्ट्री बंद हो रही हैं
बहादुरगढ़, जेएनएन। तीन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन को तीन माह पूरे होने वाले हैं। इस आंदोलन के कारण बहादुरगढ़ इंडस्ट्री को चार से पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। साथ ही आंदोलन लंबा चलने के कारण टीकरी और झाड़ौदा बॉर्डर बंद होने से कच्चा व तैयार माल का आवागमन बहुत कम होने से यहां किराये पर चल रही 20 से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद हो गईं। इनमें 200 से ज्यादा काम करने वाले वर्कराें का भी काम छूट गया। साथ ही भवन मालिकों को भी लाखों रुपये प्रति माह मिलने वाले किराये का भी नुकसान हो गया। शहर के गणपति धाम, आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र(एमआइई) पार्ट ए व बी में मोल्डिंग, तेल निकालने वाली, फूड प्रोडक्ट, कपड़े पर कढ़ाही करने वाली समेत प्लास्टिक मोल्डिंग का काम करने वाली फैक्ट्रियां बंद हो गई।
आंदोलन के कारण इन फैक्ट्रियों को कच्चा माल समय पर ना मिलने और तैयार माल के ऑर्डर समय पर पूरे ना करने की वजह से लाखों रुपये का नुकसान हुआ। नए ऑर्डर मिलने बंद हो गए। ऐसे में किराया और वर्करों की पगार भी अपनी जेब से देना पड़ रहा था। ऐसे में इन फैक्ट्रियों के मालिकों को अपना काम बंद करके घर बैठने को मजबूर होना पड़ा। आरके पेट्रो, बीएस पावर, यूनिक प्रोसेसर, बाला जी इंडस्ट्री के मालिक प्रशांत, संजय आदि का कहना है कि किसान आंदोलन के कारण किराया निकालना भी मुश्किल हो गया था। इस कारण उन्हें अपना काम बंद करना पड़ा। अब आंदोलन के बाद ही नए सिरे से काम शुरू करेंगे।
बंद हो गए थे ऑर्डर मिलने, इसीलिए किया काम बंद: मनीष
गणपति धाम में किराये पर फैक्ट्री लेकर सोया के फूड प्रोडक्ट पैकिंग करने का शुरू किया था। कोरोना के बाद आंदोलन से कुछ माह पहले ही काम शुरू किया था। 45 हजार रुपये का किराया था। पांच बंदे भी काम कर रहे थे, मगर आंदोलन की वजह से समय पर ऑर्डर पूरे नहीं हुए। इस कारण नए ऑर्डर मिलने बंद हो गए। ऐसे में किराया भी पूरा नहीं हो रहा था। काम ही छोड़ना पड़ा।
फैक्ट्री बंद हुई तो किराये का हो गया नुकसान: नवीन
गणपति धाम में फैक्ट्री चला रहे नवीन मल्होत्रा ने बताया कि उसने अपनी एक फैक्ट्री किराये पर दे रखी थी। फूड प्रोडक्ट की पैकिंग का काम था। आंदोलन की वजह से फैक्ट्री बंद हो गई। ऐसे में अब उसका भवन खाली है। इस कारण 45 हजार रुपये प्रति माह का नुकसान हो गया। अब बिजली, पानी व अन्य खर्चें उसे अपनी जेब से ही देने पड़ रहे हैं।