किसान आंदोलन : पुलिस-प्रशासन की सख्ती और एफआइआर दर्ज होने के बाद हाइवे पर रुका पक्का निर्माण
पुलिस की कोशिश है कि अब और कोई पक्का निर्माण न हो। हालांकि अभी तक जो निर्माण हुए हैं उनको लेकर आंदाेलनकारियों का तर्क रहा है कि यह कोई कब्जा नहीं है। जब आंदोलन खत्म होगा तो वे खुद ही इस निर्माण को हटाएंगे
बहादुरगढ़, जेएनएन। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच नेशनल हाइवे पर पक्का निर्माण फिलहाल रुक गया है। पिछले दिनों इस मामले में पुलिस-प्रशासन की ओर से सख्ती दिखाई गई थी। साथ ही एफआइआर भी दर्ज हुई थी। उससे पहले निर्माण चल रहा था, मगर पुलिस-प्रशासन ने अब आंदोलन स्थल पर नजर टिका रखी है। अब नया बोरवेल भी हाइवे की जमीन पर नहीं हो रहा है। हालांकि पुराने जो भी पक्के निर्माण और बोरवेल हैं, उनको हटाने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पुलिस की कोशिश है कि अब और कोई पक्का निर्माण न हो। हालांकि अभी तक जो निर्माण हुए हैं, उनको लेकर आंदाेलनकारियों का तर्क रहा है कि यह कोई कब्जा नहीं है। जब आंदोलन खत्म होगा तो वे खुद ही इस निर्माण को हटाएंगे, मगर अभी तो यह भी तय नहीं है कि यह आंदोलन कब तक चलेगा।
दोनों पक्षों की नजर पांच राज्यों के चुनावी नतीजों पर :
सरकार और आंदोलनकारियों के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत का दौर शुरू नहीं हो पाया। अब पांच राज्यों के चुनाव में ही दोनों पक्ष व्यस्त हैं अौर दोनों की नजर इन राज्यों के चुनावी नतीजों पर टिकी है। आंदोलनकारी नेता इन राज्यों में केंद्र में सत्तारूढ़़ भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने पर जुटे हुए हैं। ऐसे में दोनों ही पक्ष फिलहाल देखो और इंतजार करो की स्थिति में हैं। किसान संगठनों के नेताओं को भी यह आभास है कि जिस मुहिम में वे इन दिनों जुटे हुए हैं अगर उसके परिणाम उनके अनुरूप नहीं आए तो कहीं न कहीं अागामी दिनों में वे सरकार से बातचीत को लेकर दबाव में आ जाएंगे।