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दोस्त की पत्नी के लिए रक्तदान से शुरू हुआ सफर, अब बन चुका लंबा कारवां, लोगों को मिला साथ

रक्त वीर मनीष वर्मा बताते हैं 10 साल पहले रोहतक निवासी उनके दोस्त की पत्नी को रक्त की जरूरत पड़ी तो उनके पास दोस्त का फोन आया वह तुरंत रोहतक पहुंचे और रक्तदान किया। यहीं से रक्तदान का सफर शुरू हुआ।

By Naveen DalalEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 04:42 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 04:42 PM (IST)
दोस्त की पत्नी के लिए रक्तदान से शुरू हुआ सफर, अब बन चुका लंबा कारवां, लोगों को मिला साथ
मनीष खुद 53 बार कर चुके और 5000 लोगों से करवा चुके हैं रक्तदान।

भिवानी, सुरेश मेहरा। 10 वर्ष पूर्व दोस्त की पत्नी के लिए रक्तदान करने से शुरू हुआ सफर अब लंबा कारवां बन चुका है। एचडीएफसी बैंक में काम करने वाले मनीष वर्मा लोगों की जिंदगी बचाने में दिन रात लगे हैं। वह अब तक 53 बार रक्तदान कर चुके हैं तो पांच हजार से अधिक युवाओं से जरूरतमंदों के लिए रक्तदान करवा चुके हैं। दिल्ली एम्स अस्पताल में दो बार और राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में एक बार वह रक्तदान कर चुके हैं।

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महामारी के दौर में 500 यूनिट करवा चुके रक्तदान

मनीष वर्मा बताते हैं कि हमारी टीम महामारी के दौर में 500 से ज्यादा यूनिट्स रक्तदान करवा चुकी है। चौधरी बंसीलाल नागरिक अस्पताल के रक्तकोष से  जब भी काल आई हमारी टीम तुरंत मौके पर पहुंची और जरूरतमंद के लिए रक्तदान का प्रबंधक किया। पिछले साल अगस्त से लेकर नवंबर माह तक डेंगू का जबरदस्त प्रकोप रहा। इस दौरान हमारी टीम के 200 से अधिक युवाओं ने प्लेटलेट्स डोनेट की।

रक्तदान बना जीवन का मिशन

रक्त वीर मनीष वर्मा बताते हैं 10 साल पहले रोहतक निवासी उनके दोस्त की पत्नी को रक्त  की जरूरत पड़ी तो उनके पास दोस्त का फोन आया वह तुरंत रोहतक पहुंचे और रक्तदान किया। यहीं से रक्तदान का सफर शुरू हुआ। वर्ष 2015 में खुद मेरी पत्नी बीमार हो गई।उस समय मैं दिल्ली में था जैसे ही मैंने अपने दोस्तों को बताया वह तुरंत पहुंच गए और  रक्तदान की कमी नहीं थी। बात 2016 की है बिहार के एक व्यक्ति की बेटी की प्लेट्स डाउन हो गई थी उनको सूचना मिलते ही वह अलसुबह एकता एक्सप्रेस में बैठकर दिल्ली एम्स हॉस्पिटल पहुंच गई और प्लेट्स डोनेट की। इसी प्रकार मध्य प्रदेश के एक व्यक्ति के प्लेटलेट्स डाउन होने की खबर आई तो हम तुरंत पहुंच गए और उस व्यक्ति की जान बचाई। इसी तरह जींद के एक व्यक्ति का दिमाग का ऑपरेशन होना था उसे 6 यूनिट रक्त की जरूरत थी हम पांच दोस्त वहां पहुंच गए और उसके लिए रक्तदान किया अवश्य जिंदगी बच गई एक यूनिट रक्त उसके परिवार के सदस्यों ने दिया। मनीष बताते हैं कि वह और राजेश डुडेजा इस अभियान को लगातार चला रहे हैं। अब यह उनके जीवन का मिशन बन चुका है।

रक्तदान से बचाई जा सकती है जिंदगियां

34 वर्षीय रक्त वीर मनीष कहते हैं की अब हमने प्रदेश भर के सभी जिलों में 25 व्हाट्सएप ग्रुप बना रखे हैं।इन ग्रुपों में युवाओं की बड़ी टीम जुड़ी है। इनकी संख्या 2500 से ज्यादा है जो नियमित रक्तदाता है। प्रदेश भर में कहीं भी किसी को रक्त की जरूरत होती है तो हमारे युवा रक्तदान के लिए पहुंच जाते हैं हमारा मिशन एक ही है जरूरतमंदों की जिंदगी बचाना। हम कहते हैं एक यूनिट से तीन जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। इसलिए युवाओं से विशेषकर आह्वान है कि वह रक्तदान के लिए आगे आए और सेवा के क्षेत्र में उतर जाएं।


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