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Panipat पर देशभर में क्‍यों छिड़ी जंग, जानें Film को लेकर जाटों को क्‍या है आपत्ति

Film Panipat से पश्चिमी उत्तर प्रदेश हरियाणा राजस्थान सहित देश का जाट गुस्से मेंं है। आमजन से लेकर नामी-गिरामी हस्तियां फिल्म के विरोध में हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 12:05 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 02:27 PM (IST)
Panipat पर देशभर में क्‍यों छिड़ी जंग, जानें Film को लेकर जाटों को क्‍या है आपत्ति
Panipat पर देशभर में क्‍यों छिड़ी जंग, जानें Film को लेकर जाटों को क्‍या है आपत्ति

हिसार [जगदीश त्रिपाठी] पानीपत की तीसरी लड़ाई को केंद्र में रखकर बनी फिल्म 'पानीपत' के प्रदर्शन पर पूरे देश में जंग छिड़ गई है। हर जगह फिल्म का विरोध हो रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान सहित पूरे देश का जाट समुदाय गुस्से में है। इसकी वजह फिल्म में महान जाट शासक महाराज सूरजमल का गलत चित्रण किया जाना है। आमजन से लेकर नामी-गिरामी हस्तियां फिल्म के विरोध में हैं। हरियाणा के पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु , रेसलर बजरंग पूनिया सहित अनेक लोग ट्विटर, फेसबुक या सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर फिल्म के विरुद्ध लोग गुस्सा उतार रहे हैं।

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जाट नेता यशपाल मलिक ने तो फिल्‍म नहीं चलने देने की खुली चेतावनी दी है। ऐसा नहीं कि फिल्म में महाराजा सूरजमल का विरोध करने वालों में केवल जाट समुदाय के ही लोग हैं। अन्य वर्गों-समुदायों के लोग भी फिल्म में महाराजा सूरजमल का गलत चित्रण किए जाने पर विरोध कर रहे हैं। मशहूर पहलवान योगेश्वर दत्त ने 'शूटर दादी' चंद्रो तोमर के ट्वीट को रीट्वीट कर नाराजगी जताई है।

इन सबकी नाराजगी स्वाभाविक है। इतिहास महाराजा सूरजमल को एक आदर्श शासक और महान योद्धा के रूप में रेखांकित करता है। भरतपुर की स्थापना उन्होंने ही की थी। 13 फरवरी 1701 में जन्मे सूरजमल के पिता महाराजा बदन सिंह थे। सूरजमल ने भरतपुर का विस्तार धौलपुर, आगरा , मैनपुरी, अलीगढ़, हाथरस, इटावा,मेरठ, रोहतक, मेवात, रेवाड़ी, गुडग़ांव (अब गुरुग्राम), मथुरा तक कर लिया था। 1753 तक सूरजमल ने जब अपने राज्य का विस्तार दिल्ली के इर्द गिर्द तक कर लिया दिल्ली के नवाब गाजीउद्दीन ने मराठों से उनपर अंकुश लगाने का कहा।

मराठों ने भरतपुर पर चढ़ाई कर दी, लेकिन वे सूरजमल से जीत नहीं पाए। खुद मराठों को ही नुकसान पहुंचा और उनके प्रमुख सरदार मल्हारराव के बेटे खांडेराव की मौत हो गई। इसके बाद उन्होंने महाराजा सूरजमल से संधि कर ली। सूरजमल अपने लोहागढ़ के किले के कारण भी मशहूर हैं। इस किले को कोई भेद नहीं पाया है। इसकी दीवारों पर तोप के गोलों का असर भी नहीं होता है। अंग्रेजों ने इसे भेदने के लिए 13 बार तोपों से आक्रमण किया पर सफल नहीं हुए। 1763 में जब वह नवाब नजीबुद्दौला के खिलाफ हिंडन नदी के किनारे हुए युद्ध लड़ रहे थे तो उस दौरान धोखे से उनकी हत्या कर दी गई। 

पानीपत की तीसरी लड़ाई जो 15 जनवरी 1761 को हुई, उसमें मराठों का साथ देने की पहल खुद सूरजमल ने की थी। फिल्म में दिखाया गया है कि उन्होंने मराठा सेनापति सदाशिव राव से आगरे के किले को देने की मांग की और सदाशिव राव के मना करने पर रूठ कर चले गए। यह वास्तविकता से परे है। कई इतिहासविदों के अनुसार के सूरजमल ने सदाशिव राव से कहा था कि फिलहाल अभी युद्ध ठीक नहीं है। मराठे सैनिकों को सर्दी सहने में दिक्कत आएगी। अफगान सर्दी सहने के आदी हैं। रसद की कमी को देखते हुए सैनिकों को वेतन के रूप में नकद राशि न देकर सोना-चांदी या कीमती वस्तुएं दी जाएं। इससे रसद खरीदने के लिए नकद राशि सुरक्षित रहेगी। सदाशिव ने उनकी इन बातों को गंभीरता से नहीं लिया तो वह निराश हो गए।

मराठे जब युद्ध हार गए तो  महाराजा सूरजमल ने उनके तीस हजार से अधिक लोगों को शरण दी। इनमें बाजीराव-मस्तानी का बेटा शमशेर बहादुर भी था, जो बुरी तरह घायल था। यह जानकारी मिलने पर कि वह बाजीराव का बेटा है, जाट शासक ने उसकी समुचित चिकित्सा कराई। उसे वैसा ही ट्रीटमेंट दिया गया, जैसा राजा को दिया जाता है। यह बात अलग है कि उसे बचाया नहीं जा सका। युद्ध के बाद जो मराठे भरतपुर पहुंचे थे उनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। जो पुरुष सैनिक थे, वे भी घायल थे। सूरजमल ने उन्हें छह महीने अपने पास रखा। उनकी चिकित्सा कराई। उनके भोजन-आवास का प्रबंध किया और जब सब सामान्य हो गया तो उन्हें सुरक्षित महाराष्ट्र भेजना सुनिश्ििचत कराया।

ऐसे महान योद्धा का गलत चित्रण किए जाने पर जाटों के इतिहास के अघ्येता बहादुरगढ़ के नारायण तेहलान कहते हैं कि प्रश्न सिर्फ इतना नहीं कि जाट शासक ने मराठों का साथ नहीं दिया था, क्यों नहीं दिया था, यह भी बताया जाना चाहिए। और युद्ध के बाद क्या किया था, इसे भी बताना चाहिए। यह बात महाराजा सूरजमल के वंशज और राजस्थान के कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह  कहते हैं कि हमने तो मराठों की मदद ही की थी।

महाराजा सूरजमल के चरित्र को दिखाया गया गलत, नहीं चलने देंगे पानीपत फिल्म : यशपाल मलिक

'पानीपत' फिल्म को लेकर जाट समाज के लोग भी विरोध में आ गए हैं। सोमवार को अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने जसिया गांव स्थित छोटूराम धाम में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि फिल्म में महाराजा सूरजमल को लेकर गलत तथ्य दिखाए गए हैं। महाराज सूरजमल भरतपुर राज्य के महाराजा थे। उन्होंने ही भरतपुर शहर की स्थापना की थी। महाराजा सूरजमल की उदारता से हर कोई वाकिफ है, लेकिन फिल्म में उनके चरित्र को गलत दर्शाया गया है।

समिति के सदस्य हरियाणा समेत अन्य प्रदेशों में भी इस फिल्म का खुलकर विरोध करेंगे। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार तुरंत फिल्म पर बैन लगाए और निर्माता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें। इसके अलावा समिति के सभी जिलाध्यक्ष अपने-अपने जिलों डीसी और एसपी से मिलकर अगले 72 घंटों में यह फिल्म बंद कराए। इसके अलावा यूपी, उत्तराखंड, दिल्ली और मध्यप्रदेश में भी समिति के सदस्यों को सूचना देकर इस पर बैन लगाने के लिए कहा जाएगा।

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