जापान की स्काटा तरबूज किस्म ने सिरसा के किसान सुरेश शेरडिया को दिलाई अलग पहचान
रेश शेरडिया ने अपने खेतों में ड्रिप सिंचाई विधि को अपनाया मुनाफा भी अधिक हुआ। तरबूज के साथ-साथ सुरेश ने खरबूजा करेला घीया व कुछ अन्य सब्जियों की काश्त की हुई है जिनसे वह अच्छी खासी आमदन कमा रहा है। बड़ी बात ये है कि सभी सब्जियां ओग्रेनिक हैं।
सिरसा, जेएनएन। मन में कुछ नया करने की लग्र हो और कुछ कर गुजरने का मादा हो तो हर मुश्किल को आसान बनाया जा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हुडा सेक्टर निवासी सुरेश शेरडिया ने, जिन्होंने जापान की स्काटा कंपनी के तरबूज के बीज की अपने बाग के खेत में काश्त की। तरबूज की बंपर पैदावार ने सुरेश को एक अलग ही पहचान दिलाई। यही नहीं सुरेश शेरडिया ने अपने खेतों में ड्रिप सिंचाई विधि को अपनाया, जिससे न केवल पानी की बचत हुई, बल्कि मुनाफा भी अधिक हुआ।
तरबूज के साथ-साथ सुरेश ने खरबूजा, करेला, घीया व कुछ अन्य सब्जियों की काश्त की हुई है, जिनसे वह अच्छी खासी आमदन कमा रहा है। बड़ी बात ये है कि सभी सब्जियां ओग्रेनिक हैं। इनमें किसी प्रकार का कोई कीटनाशक उपयोग नहीं किया गया है। बता दें कि सुरेश शेरडिया का फूलों के प्रति भी गहरा लगाव रहा है और उन्होंने अपने घर की छत पर फूलों की नर्सरी तैयार की हुई है।
ऐसे आया आइडिया:
सुरेश शेरडिया बताते हैं कि उनकी गांव चौबुर्जा में पांच एकड़ भूमि है, जिसमें उन्होंने आर्थिक संकट दूर करने के लिए बाग लगाया हुआ है। बाग अभी पूरी तरह तैयार नहीं हुआ है। उसके मन में विचार आया कि क्यों न जब तक बाग तैयार हो, बाग के साथ-साथ सब्जियों की काश्त की जाए, जिससे न केवल आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि सबिजयों की भी कमी नहीं रहेगी। इसी सोच विचार के साथ उसने करीब डेढ़ एकड़ में जापान से लाया गया स्काटा कंपनी का तरबूज का बीज काश्त किया। कुछ जगह में सब्जियों की काश्त की। खास बात ये है कि तरबूज व सब्जियों की फसल पर उसने रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया है। गोबर की खाद व जैविक खाद का ही प्रयोग किया है। सुरेश शेरडिया ने बताया कि जैविक विधि से तैयार किया गया तरबूज गुणकारी और मीठा होता है और उत्पादन भी बेहतर होता है।
मंडियों में नहीं मिलते उचित भाव, खेत से ले जाते हैं लोग:
सुरेश शेरडिया ने बताया कि वे एक दिन सब्जियां तोड़कर मंडी में लेकर गए, जहां उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिला, जिसके बाद उन्होंने खेत में ही रोड किनारे सब्जियों की स्टॉल लगा दी। जहां से लोग सब्जियां खरीदकर ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि खेत में सब्जियां बेचने से जहां मंडी में ले जाने का खर्च बचता है, वहीं सब्जियां बेचने के लिए इंतजार भी नहीं करना पड़ता।