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महंगाई का तड़का बिगाड़ रहा लोगों का बजट, झज्जर में छत के इंतजार में मंडी कारोबारी

बरसात के बाद से फसलों की मंडी में आवक पर प्रतिकूल असर पड़ा है। सब्जी मंडी में ही टमाटर का भाव सेब के बराबर हो गया है। जबकि अन्य सब्जियों के दाम बढ़े हैं। जिसकी वजह से मंडी में पहले दिनों की अपेक्षा काफी कम संख्या में ग्राहक कम है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 12 Nov 2021 02:04 PM (IST)Updated: Fri, 12 Nov 2021 02:04 PM (IST)
महंगाई का तड़का बिगाड़ रहा लोगों का बजट, झज्जर में छत के इंतजार में मंडी कारोबारी
झज्जर सब्जी मंडी में बने शैड में अब तक नहीं लगी छत।

झज्जर, जागरण संवाददाता। मौजूदा दिनों में महंगाई की मार असर रसोई से लेकर हर स्तर पर देखने को मिल रहा है। जबकि, लोगों की आमदनी वहीं पर ठहरी है, लेकिन आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ते जा रहे हैं। महिलाओं समेत हर तबके के लोग परेशान हैं। उन्हें घर चलाने में मुश्किलें आने लगी हैं। फल और सब्जियां महंगी हो गईं है। सब्जी मंडी में ही टमाटर 40 से बढ़कर 60 से 70 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है। जबकि, सेब भी मंडी में इसी भाव में है। ऐसे में खरीदार सोचने को मजबूर है कि वे किस उत्पाद की खरीदारी करें। इधर, मंडी से बाजार में पहुंचने तक टमाटर खुदरा दामों में 20 रुपये प्रति किलो अलग से बढ़ रहा हैं।

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सेब के बराबर हुआ टमाटर का दाम

बरसात के बाद से फसलों की मंडी में आवक पर प्रतिकूल असर पड़ा है। सब्जी मंडी में ही टमाटर का भाव सेब के बराबर हो गया है। जबकि, अन्य सब्जियों के दाम भी आसमान में हैं। जिसकी वजह से मंडी में पहले दिनों की अपेक्षा काफी कम संख्या में ग्राहक देखने को मिलें। दरअसल, जब से पेट्रो पदार्थों के दाम में इजाफा हो रहा है तो किराया भी बढ़ने लगा है। ऐसे में फलों के दाम भी महंगे होते जा रहे हैं। फल महंगे होने के कारण के लोग जरूरत के अनुसार ही खरीद रहे हैं। जिसका असर मंडी में भी देखने को मिला। कारोबारी मुकेश कुमार के दामों में पड़ रहे असर की वजह से लोगों का बजट गड़बड़ा रहा है, जिसके हिसाब से ही वह खरीदारी कर रहे हैं।

आढ़तियों एवं मासाखोरों को छत का इंतजार

पिछले करीब एक माह पहले सब्जी मंडी में नए शेड लगाए जाने का कार्य शुरु हुआ था। तत्कालीन समय में मौसम में गर्मी का अहसास था। लेकिन, नवंबर माह लगने के साथ तापमान में गिरावट दर्ज हो रही हैं। सुबह एवं शाम के समय में ठंडक परेशान कर रही है। ठीक उसी समय ही मंडी में कारोबार होता है। ऐसे में यहां मंडी में बगैर छत के काम कर रहे कारोबारी बुरी तरह से परेशान है। व्यवस्था से मांग करते हुए कहा कि पेंडिंग पड़े कार्यों को शीघ्र पूरा किया जाए।

बिगड़ रहा रसोई का बजट, खरीदारी में हो रही कटौती

महंगाई का तड़का रसोई तक पहुंचने वाले उत्पादों पर किस तरह से लग रहा है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि मौजूदा समय में अनाज मंडी में 10 से 12 रुपये किलोग्राम में बिकने वाला बाजरा पिसाई के बाद 30 रुपये किलोग्राम तक बिक रहा है। सिर्फ पिसाई के नाम पर करीब 15 रुपये किलोग्राम का फर्क सीधे तौर पर उन लोगों को प्रभावित कर रहा है। जो कि बाजार से खरीदारी कर रहे हैं। इधर, किसान मंडी में अपने उत्पादों को मजबूरी में सस्ते में बेच रहा है। कुल मिलाकर, आटे के दाम का यह अंतर हर वर्ग को आर्थिक नुकसान से नुकसान पहुंचा रहा है।


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