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सेना की हुंकार: मौका मिला तो 1971 का इतिहास फिर से दोहराएंगे: जीओसी देवेन्द्र

जागरण संवाददाता हिसार वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भारतीय सेना की जीत को आ

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 07:32 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 07:32 AM (IST)
सेना की हुंकार: मौका मिला तो 1971 का इतिहास फिर से दोहराएंगे: जीओसी देवेन्द्र
सेना की हुंकार: मौका मिला तो 1971 का इतिहास फिर से दोहराएंगे: जीओसी देवेन्द्र

जागरण संवाददाता, हिसार : वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भारतीय सेना की जीत को आज हर कोई याद करता है। इस विजय के 50 वर्ष पूरे होने पर सेना स्वर्णिम विजय वर्षोत्सव मना रही है। इसको लेकर शुक्रवार को हिसार मिलिट्री स्टेशन में कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें विजय ज्योति नई दिल्ली से चलकर अलवर होते हुए हिसार पहुंची। जहां डॉट ऑन टारगेट डिविजन से जनरल ऑफिसर कमांडिग (जीओसी) देवेंद्र कुमार ने विजय ज्योति को ग्रहण किया। इसके बाद मिलिट्री स्टेशन में वॉर मैमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सलामी दी। इस दौरान 1971 में शहीद हुए हिसार निवासी वीरचक्र विजेता सेकेंड लेफ्टिनेंट हवा सिंह व कंपनी हवलदार मेजर कृष्ण सिंह के परिजनों को सम्मानित किया। इस दौरान शहीद हवा सिंह के भतीजे कृष्ण कुमार चहल व कृष्ण सिंह के परिवार से बादामो देवी ने यह सम्मान लिया। जीओसी देवेन्द्र कुमार ने शहीदों के शौर्य की कहानियों को याद करते हुए कहा कि 1971 का 13 दिन का युद्ध कोई नहीं भूल सकता, जब हमारी सेना ने दुश्मन के हजारों सैनिकों को घुटनों पर ला दिया था। यह शौर्य, साहस भारतीय सेना की पहचान रहे हैं। मौका मिला तो हमारी सेना 1971 का इतिहास फिर से दोहराएगी।

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ऐसे शहीद हुए थे लेफ्टिनेंट हवा सिंह

दरअसल वर्ष 1971 में भारत पाक के बीच युद्ध हुआ। लेफ्टिनेंट हवा सिंह गोरखा राइफल्स में शामिल थे। उनकी बटालियन को 21 नवंबर 1971 में पूर्वी क्षेत्र में दुश्मन के एक मोर्चे पर कब्जा करने का काम सौंपा गया। शत्रु ने इस मोर्चे पर अच्छी तरह से कब्जा करने के साथ मीडियम मशीन गनें भी तैनात की हुई थी। दोनों तरफ से गोलियां चलीं जिसमें हवा सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बावजूद उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए पाकिस्तान के पांच बंकर उन्हीं के कब्जे वाले इलाके में जाकर तबाह कर दिया। जिसमें दुश्मन के कई सैनिक मारे गए।इस कारनामे को देखकर उनकी बटालियन के दूसरे सैनिकों में भी जोश आ गया। हालांकि बाद में अधिक घायल होने के कारण लेफ्टिनेंट हवा सिंह शहीद हो गए। इस कार्रवाई में शहीद ने अदम्य साहस, पहल शक्ति और ²ढ़ निश्चय का परिचय कराया।

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सैनिकों के घर जाकर परिवारों को करेंगे सम्मानित

विजय वर्ष में विजय ज्योति हिसार से होते हुए प्रदेश के 10 शहरों में जाएगी। इसमें हिसार, रोहतक, भिवानी, जींद, झज्जर, सिरसा, रेवाड़ी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, फतेहाबाद यह जिला शामिल हैं। इसके बाद 25 जनवरी को जयपुर के लिए विजय ज्योति रवाना होगी। जहां भूतपूर्व सैनिकों के घरों पर सेना के अधिकारी जाकर उन्हें सम्मानित भी करेंगे। मिलिट्री स्टेशन में विजय ज्योति पहुंची तो तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया गया।

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युद्ध की फिल्म और सैन्य हथियारों की दिखाई प्रदर्शनी

इस कार्यक्रम के दौरान 1971 के इंडो-पास युद्ध से जुड़ी फिल्म दिखाई गई। जिसमें वीर सैनिकों की कहानियां शामिल रहीं। इसके साथ ही सैन्य साजो सामान की प्रदर्शनी भी भूतपूर्ण सैनिकों के परिवार के लिए लगाई गई थी। जिसमें आधुनिक टैक्स, हथियार आदि शामिल रहे। इसके साथ ही कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान की पोस्ट पर कब्जा करने के माहौल को एक प्रक्रिया के जरिए दिखाया गया।


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