फसल अवशेष में लगाई आग तो होगी कार्रवाई
डीसी ने बताया कि किसान फसल अवशेषों को न जलाएं इसके लिए रणनीतिक रूप से कार्य करना है। जिला में 7 गांव रेड जोन जबकि 16 गांव ऑरेंज जोन में शामिल किए गए हैं। पहले किसानों को फसल अवशेषों के प्रबंधन के बारे में बताएं इससे होने वाले नुकसान को समझाएं फिर भी कोई किसान न माने तो कार्रवाई भी अमल में लाई जाए।
जागरण संवाददाता, हिसार : फसल अवशेषों के प्रबंधन को लेकर लेकर वीरवार को मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से उपायुक्तों व कृषि अधिकारियों के साथ समीक्षा की। इसके बाद डीसी डा. प्रियंका सोनी ने अधिकारियों के साथ बैठक लेकर वीडियो कांफ्रेंसिग के बिदुओं को साझा किया।
डीसी ने बताया कि किसान फसल अवशेषों को न जलाएं इसके लिए रणनीतिक रूप से कार्य करना है। जिला में 7 गांव रेड जोन जबकि 16 गांव ऑरेंज जोन में शामिल किए गए हैं। पहले किसानों को फसल अवशेषों के प्रबंधन के बारे में बताएं, इससे होने वाले नुकसान को समझाएं फिर भी कोई किसान न माने तो कार्रवाई भी अमल में लाई जाए। उपायुक्त ने पराली जलाने के संबंध में जिला के प्रत्येक संवेदनशील गांव के लिए विशेष रणनीति का खाका तैयार किया जाए। उन्होंने प्रत्येक गांव में ग्राम सचिव, पटवारी, कृषि विभाग के कर्मचारी, सरपंच व नंबरदार को शामिल करते हुए कमेटियां बनाने के भी निर्देश दिए जो पराली में आग लगाने की घटनाओं की निगरानी करेंगी। वीडियो कांफ्रेंस में मुख्य सचिव ने इन बिदुओं को उठाया
मुख्य सचिव ने बताया कि पिछले वर्ष 68 फीसद मामलों में कमी आई थी। इस बार फसल अवशेष आग के मामलों को जीरो तक लेकर जाना है।
एक-एक गांव पर नजर रखी जाएगी। फसल अवशेषों में आग लगाने से मृदा का तापमान व वातावरण में कार्बन-डाई-ऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है जिससे जमीन की उपजाऊ शक्ति कम होती है। पर्यावरण में धुआं बढऩे से फेफड़ों की क्षमता प्रभावित होती है और कोरोना के समय में फेफड़ों पर आने वाला दबाव जानलेवा हो सकता है। इस संबंध में किसानों व ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए जागरूक किया जाए। ग्राम सभाएं आयोजित करवाकर इनमें अवशेष न जलाने के प्रस्ताव पारित करवाए जाएं। समझाने के बाद भी नहीं माने किसान तो होगी कार्रवाई
पराली जलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) बहुत गंभीर हैं।इन उच्च संस्थाओं तथा आमजन के प्रति हमारी जवाबदेही के चलते ऐसे किसानों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी जो पराली जलाने से बाज नहीं आते। 851 सीएचसी से यंत्र लेकर अवशेषों का कर सकते हैं प्रबंधन
प्रदेश में ग्राम पंचायतों के अधीन 851 सीएचसी (कस्टम हायरिग सेंटर) स्थापित हैं। पंचायतें इनमें उपलब्ध उपकरण व कृषि यंत्र किसानों को देकर फसल अवशेष प्रबंधन में उनकी मदद करें। इसके अलावा थैंक यू किसान नामक अभियान के तहत पराली न जलाकर इनका उचित प्रबंधन करने वाले किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि भी दी जा रही है।