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बच्चा सुस्त और चिड़चिड़ा तो खतरे की घंटी, कोविड-19 की तीसरी लहर से पहले पीजीआइ रोहतक में दिए टिप्स

बच्चा सुस्त पड़ गया है चमड़ी ढीली पड़ गई हो पेशाब कम कर रहा हो चिड़चिड़ा हो गया हो पानी नहीं पी रहा हो तो यह खतरे की घंटी हो सकती है। ऐसे में बच्चे को तुरंत प्रभाव से चिकित्सक को दिखाना चाहिए और चिकित्सक को भी तत्परता दिखानी चाहिए

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 14 Jul 2021 11:10 AM (IST)Updated: Wed, 14 Jul 2021 11:10 AM (IST)
बच्चा सुस्त और चिड़चिड़ा तो खतरे की घंटी, कोविड-19 की तीसरी लहर से पहले पीजीआइ रोहतक में दिए टिप्स
तीसरी लहर से बचाव के लिए डॉक्‍टरों से कहा इलाज से पहले पुरानी बीमारियों को लेकर भी जुटाएं जानकारी

जागरण संवाददाता, रोहतक: यदि आपका बच्चा सुस्त पड़ गया है, चमड़ी ढीली पड़ गई हो, पेशाब कम कर रहा हो, चिड़चिड़ा हो गया हो, पानी नहीं पी रहा हो तो यह खतरे की घंटी हो सकती है। ऐसे में बच्चे को तुरंत प्रभाव से चिकित्सक को दिखाना चाहिए और चिकित्सक को भी तत्परता से कार्यवाही करते हुए बच्चे को ग्लूकोस लगाना होता है। यह कहना है पीजीआइएमएस के शिशु रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. वंदना का। वे मंगलवार को पीजीआइएमएस की स्किल लैब में पूरे प्रदेश के चिकित्सकों को चरणबद्व तरीके से दी जा रही दो दिवसीय ट्रेनिंग के पहले दिन गुरूग्राम, फरीदाबाद व मेवात से आए चिकित्सकों को व्याख्यान दे रही थी।

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डा. वंदना ने बताया कि एक बच्चा जो मरीज के तौर पर हमारे पास अस्पताल में आता है तो उसको जितनी ज्यादा जरूरत आक्सीजन की होती है, उतनी ही जरूरत पानी की भी हो सकती होती है। उन्होंने कहा कि बच्चे के बीमार होने पर उनमें अक्सर पानी की कमी हो जाती है। डा. वंदना ने बताया कि यदि बच्चे में पानी की कमी हो जाती है तो हमें पता होना चाहिए कि कितना पानी देना है, किस तरह देना है। उन्होंने बताया कि यदि बच्चे में ग्लूकोस लगाने के लिए नस नहीं मिल रही है तो इंट्रा ओसियस के माध्यम से बच्चे में जल्दी पानी की कमी को दूर किया जा सकता है। डा. वंदना ने कहा कि यदि बच्चे में थोड़ी देर पानी की कमी रह जाती है तो उससे उसके किडनी, दिमाग व दिल पर भी असर पड़ सकता है। ऐेसे में हमें आक्सीजन के साथ-साथ पानी की कमी कभी नहीं होने देनी चाहिए।

-आज होगी कृत्रितम अंगों पर ट्रेनिंग

ट्रेनिंग के इंचार्ज डा. कुंदन मित्तल ने कहा कि उनका प्रयास है कि यहां से ट्रेनिंग लेने वाला हर चिकित्सक शिशुओं का इलाज करने में पूरी तरह से निपुण हो। डा. प्रशांत कुमार ने बताया कि कल सभी चिकित्सकों को कृत्रिम अंगों पर केस दिए जाएंगे और उनसे उनका इलाज करवाकर देखा जाएगा।

पुरानी बीमारी की जुटाएं जानकारी: डा. विरेंद्र

डा. विरेंद्र गहलावत ने बताया कि बच्चे से अवश्य पूछें कि उसे अभी क्या-क्या तकलीफ है और कितने दिनों से है तथा क्या वह किसी कोविड मरीज के संपर्क में आया है। बच्चे को कोई पुरानी बीमारी तो नही है, जैसे डायबिटिज, दिल की बीमारी इत्यादि या कोई लंबी दवाई तो नहीं खा रहा है ताकि उसको ध्यान में रखते हुए इलाज शुरू किया जा सके।


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